पांच साल की कूटनीतिक दूरी के बाद भारत-चीन के बीच संवाद बहाली की कोशिश हो रही है। चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग आज भारत आ सकते हैं।
भारत और चीन के संबंधों के बीच जमीं परत पिघलने लगी है। लगभग पांच साल की कूटनीतिक दूरी के बाद भारत-चीन के बीच संवाद बहाली की कोशिश हो रही है। चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग आज भारत आ सकते हैं। इससे पहले जनवरी 2025 में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री बीजिंग गए थे। यह कूटनीतिक दरार को पाटने की अहम पहल मानी जा रही है।
दोनों देशों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है। यह विश्वास बहाली का प्रतीकात्मक और सांस्कृतिक कदम है। कोविड के बाद बंद हुई सीधी हवाई सेवाओं को फिर शुरू करने पर भी लगभग सहमति बन चुकी है।
साल 2023-24 में भारत-चीन व्यापार 9.8 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचा था। रिश्तों में सुधार से तकनीक, मैन्युफैक्चरिंग और स्टार्टअप सेक्टर में चीन से निवेश आने की संभावना है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था और रोजगार को काफी बल मिल सकता है।
चीन पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य समर्थन देता रहा है, लेकिन भारत-चीन समीकरण सुधरने पर चीन का रुख संतुलित हो सकता है। जिससे पाक को मिलने वाली मदद प्रभावित हो सकती है। इसका असर उसकी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
हालांकि, अभी कहना जल्दबाजी होगी। यह प्रक्रिया भरोसे, संवाद और व्यावहारिक संतुलन पर टिकी है। चुनौतियां बनी रहेंगी, लेकिन बातचीत की बहाली, पहला और जरूरी कदम है।
साल 2020 में गलवान घाटी में सैन्य झड़प के बाद भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव उत्पन्न हुए थे। जिसके बाद तनाव कम करने की कोशिश कई गई। इसी के तहत बीते साल अक्टूबर महीने में पूर्वी लद्दाख सीमा पर देपसांग और डेमचोक पॉइंट से डिसइंगेजमेंट (सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया) पूरा किया गया।
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने तब कहा था कि जल्द ही इन दोनों पॉइंट पर भारतीय सेना पेट्रोलिंग शुरू करेगी। इस दौरान लोकल कमांडर लेवल की बातचीत चलती रहेगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि भारत और चीन 28-29 अक्टूबर तक LAC पर सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे।