India-Italy Strategic Partnership: प्रधानमंत्री मोदी और इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी के बीच हुई बातचीत में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा हुई।
India-Italy Strategic Partnership: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Georgia Meloni ) के बीच हुई एक महत्वपूर्ण बातचीत में दोनों नेताओं ने आपसी रणनीतिक रिश्तों को और गहरा करने पर सहमति (India-Italy Strategic Partnership) जताई। बातचीत के दौरान भारत-इटली सहयोग के कई अहम पहलुओं पर चर्चा हुई, जिसमें व्यापार, वैश्विक कूटनीति और सुरक्षा प्राथमिकताएं शामिल रहीं। मेलोनी ने मोदी को फोन किया तो उनके बीच यह बातचीत हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और इटली के बीच जो रणनीतिक साझेदारी बनी है, वह अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है। इस रिश्ते को और भी व्यावहारिक और बहुआयामी बनाने पर जोर दिया गया। दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों खासकर व्यापार, तकनीक, रक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर मिल कर काम करने की इच्छा जताई। इस पर मोदी ने ट्वीट भी किया है।
दोनों नेताओं ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी और मेलोनी ने इस बात पर सहमति जताई कि इस संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने शांति और संवाद को ही समाधान का रास्ता बताया और कहा कि सभी पक्षों को कूटनीतिक तरीकों से हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
बातचीत में एक अहम मुद्दा भारत और यूरोपीय संघ के बीच चल रही फ्री ट्रेड डील (FTA) को लेकर था। मोदी ने इस समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने की जरूरत बताई। उन्होंने इटली की ओर से मिल रहे सक्रिय सहयोग के लिए मेलोनी को धन्यवाद भी दिया। इस समझौते से भारत और यूरोप के बीच व्यापारिक रिश्ते और तेज़ हो सकते हैं।
मोदी और मेलोनी ने India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEEC) पर भी चर्चा की, जो भारत से लेकर यूरोप तक एक आर्थिक संपर्क सेतु है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पहल न सिर्फ व्यापार को बढ़ावा देगी, बल्कि वैश्विक लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर को भी नया आयाम देगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री मेलोनी को भारत-इटली सहयोग में उनकी सक्रिय भूमिका और रचनात्मक सोच के लिए धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि भविष्य में वे मिलकर और बड़े स्तर पर सहयोग करेंगे।
बहरहाल इस बातचीत से स्पष्ट है कि भारत और इटली अपने द्विपक्षीय संबंधों को सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रखना चाहते, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस काम करके वैश्विक स्तर पर अपनी भूमिका और सहयोग को मजबूत करना चाहते हैं। दोनों देशों की साझेदारी आने वाले वर्षों में व्यापार, निवेश और वैश्विक कूटनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है।