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बूंद-बूंद पानी को तरसेगा पाकिस्तान! मोदी सरकार ने पड़ोसी मुल्क को थमाया नोटिस, जानिए क्या है पूरा मामला  

India Pakistan: भारत ने पाकिस्तान के लिए अब वो कदम उठाया है जिससे पाकिस्तान किसी हथियार से नहीं बल्कि पानी के बिना तड़पेगा। हालांकि भारत का ये फैसला भारत और पाकिस्तान के किए एक समझौते पर आधारित है।

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Indus Water Treaty

India Pakistan: पानी पी-पी कर भारत को कोसने वाला पाकिस्तान अब इसी पानी की बूंद-बूंद को तरसने वाला है। भारत की मोदी सरकार (Narendra Modi) ने अब एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे पाकिस्तान प्यासा मरने वाला है। हालांकि दरियादिली दिखाते हुए भारत ने पाकिस्तान को सोच-समझ कर फैसला करने का वक्त भी दिया है। लेकिन अगर पाकिस्तान भारत की इस बात को नहीं मानता है तो वो दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान इस पानी के लिए भीख मांगता दिखेगा। दरअसल भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 64 साल पुराने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) पर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस थमा दिया है। भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा और संसोधन की मांग की है। इसमें परिस्थितियों में मौलिक और अप्रत्याशित बदलाव का हवाला दिया गया है।

भारत ने क्यों की संसोधन की मांग

रिपोर्ट के मुताबिक ये नोटिस, भारत ने पकिस्तान को 30 अगस्त को दिया है। इस नोटिस में भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि इस संधि के अनुच्छेद 12 (3) के तहत, इसके प्रावधान को समय-समय पर दोनों सरकारों के बीच उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए संसोधित किया जा सकता है।

भारत का मानना है कि जब ये संधि हुई थी, तब से लेकर अब परिस्थितियों में कई अप्रत्याशित बदलाव हुए हैं। जिनमें जनसंख्या में बढ़ोतरी, पर्यावरण संबंधी मुद्दे, स्वच्छ ऊर्जा के विकास की जरूरत और सीमा पार आतंकवाद का लगातार प्रभाव शामिल है। ऐसे में भारत चाहता है कि इस संधि में संसोधन किया जाए।

संधि पर G2G लेवल पर हो बातचीत

भारत की तरफ से ये अधिसूचना किशनगंगा और रैटल जलविद्युत परियोजनाओं से संबंधित एक अलग विवाद को लेकर जारी की गई है। इसे लेकर वर्ल्ड बैंक ने एक ही मुद्दों पर विशेषज्ञ तंत्र और मध्यस्थता न्यायालय दोनों को सक्रिय कर दिया है। भारत ने संधि के तहत विवाद समाधान तंत्र पर दोबारा सोच-विचार का भी आह्वान किया है। नोटिस के तहत भारत ने पाकिस्तान को संधि की समीक्षा के लिए सरकार से सरकार (G2G) के बीच बातचीत शुरू करने के लिए आमंत्रित किया है।

क्या है सिंधु जल संधि समझौता

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर समझौता हुआ था। उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने कराची में इस समझौते पर साइन किए थे। 

इस समझौत के तहत, तीन नदियों - रावी, सतलुज और ब्यास का औसत लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी विशेष उपयोग के लिए भारत को आवंटित किया गया था। वहीं पश्चिमी नदियों - सिंधु, झेलम और चिनाब का औसतन लगभग 135 MAF पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया था। इसमें भारत को कुछ घरेलू, गैर-उपभोग्य और कृषि उपयोग के पानी के इस्तेमाल की अनुमति है। इसमें ही संसोधन के लिए भारत ने पाकिस्तान को नोटिस भेजा है।

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