India Russia Nuclear Submarine Deal: भारत और रूस के बीच 2 अरब डॉलर की न्यूक्लियर सबमरीन डील हुई है, जिसके तहत भारत को 2027 तक न्यूक्लियर पनडुब्बियां मिलेंगी।
India Russia Nuclear Submarine Deal: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा एक नया इतिहास रचते हुए महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटनाक्रम बनने जा रहा है। पुतिन के भारत पहुंचने से पहले, दोनों देशों के बीच 2 बिलियन डॉलर (लगभग 16,700 करोड़ रुपये) की न्यूक्लियर सबमरीन डील (India Russia Nuclear Submarine Deal) पर मुहर लग गई है। इस डील (Nuclear Submarine India 2027) को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पिछले 10 बरसों से चल रही थी, और अब यह दोनों देशों के लिए एक बड़ी रणनीतिक कामयाबी साबित हो सकती है। यह डील(Russia India Defense Deals) विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन के लिए चिंता का कारण बन सकती है।
इस ताजा समझौते के तहत, भारत को अगले दो वर्षों में अपनी नई परमाणु पनडुब्बी मिल सकती है। भारत की नौसेना के प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी के अनुसार, भारत की योजना है कि उसे यह परमाणु पनडुब्बी 2027 तक मिल जाए। यह भारत के लिए महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि रूस से यह दूसरी परमाणु पनडुब्बी मिलेगी है। ध्यान रहे कि इससे पहले, 2012 में रूस से आईएनएस चक्र पनडुब्बी को 10 साल के लिए लीज पर लिया गया था।
प्रतिरक्षा सूत्रों के अनुसार परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां, डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में कहीं अधिक खतरनाक और असरदार होती हैं। ये पनडुब्बियां पानी के भीतर ज्यादा समय तक रह सकती हैं, और उनकी आवाज़ इतनी कम होती है कि इनके मूवमेंट के बारे में पता लगाना मुश्किल हो जाता है। खासकर हिंद महासागर और प्रशांत महासागर जैसे विशाल क्षेत्रों में गश्त करते समय, इन पनडुब्बियों का पता लगाना और भी कठिन हो जाता है। इसके चलते, पाकिस्तान और चीन के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है। फिलहाल, भारत के पास 17 डीजल-चालित पनडुब्बियां हैं, लेकिन अब परमाणु पनडुब्बियों की ताकत बढ़ाना उसके रणनीतिक मकसद का हिस्सा बन चुका है।
भारत इस डील के साथ-साथ अपनी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली अटैक सबमरीन भी तैयार कर रहा है। ये पनडुब्बियां दुश्मन की पनडुब्बियों और सतह पर मौजूद युद्धपोतों के बारे में पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के लिए डिजाइन की जाएंगी। अभी तक अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस जैसे कुछ देशों के पास ही परमाणु पनडुब्बियां बनाने और उनका संचालन करने की तकनीक है। खुशी की बात यह है कि अब, भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है और इससे दक्षिण एशिया में उसका सैन्य प्रभाव और बढ़ सकता है। इसके साथ ही, दक्षिण कोरिया भी अमेरिका के सहयोग से इस दिशा में काम कर रहा है।
भारत की तीसरी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी अगले साल भारतीय नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है। यह पनडुब्बी विशेष रूप से भारत की परमाणु शक्ति मजबूत करने में मदद करेगी। इसके अलावा, भारत के पास अपनी परमाणु पनडुब्बी निर्माण की क्षमता बढ़ाने की योजना है, और इसके लिए वह रूस के साथ सहयोग कर रहा है। भारत की ये योजनाएं विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन के लिए चिंता का कारण बन सकती हैं, क्योंकि इन देशों के साथ भारत के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं।
भारत का यह कदम न केवल देश की सैन्य ताकत बढ़ाएगा, बल्कि उसकी रणनीतिक स्वायत्तता को भी मजबूत करेगा। क्योंकि रूस के साथ न्यूक्लियर सबमरीन डील पर हस्ताक्षर करने से भारत को अपने सैन्य और समुद्री सुरक्षा दृष्टिकोण को मजबूत करने में मदद मिलेगी। इस डील के बाद, भारत की नौसेना अधिक सक्षम और सशक्त होगी, जो उसे समुद्री संघर्षों और आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद करेगा।
पाकिस्तान और चीन की नींद इसलिए उड़ी हुई है क्योंकि भारत का यह कदम उनके लिए एक नई चुनौती पेश कर रहा है। इन दोनों देशों के लिए यह रणनीतिक दृष्टिकोण से एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है, खासकर तब जब भारत अपनी नई परमाणु पनडुब्बियों के साथ समुद्र में गश्त करने लगेगा।
भारत और रूस के बीच इस 2 अरब डॉलर की न्यूक्लियर सबमरीन डील पर हस्ताक्षर होने से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और भी मजबूत हो गया है। इसके अलावा, भारत के पास अब परमाणु पनडुब्बियों की ताकत बढ़ने से वह अपने समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में और भी प्रभावी भूमिका निभा सकेगा। पाकिस्तान और चीन की बढ़ती चिंता इस बात का प्रमाण है कि भारत अपनी सैन्य ताकत बखूबी बढ़ा रहा है।