India Russia Relations : भारत और रूस के रिश्ते दशकों पुराने हैं, जो समय के साथ और भी मजबूत हुए हैं। पुतिन के इस दौरे से इन रिश्तों को और मजबूती मिल सकती है।
India Russia Relations: भारत और रूस के बीच दशकों पुराने और मजबूत रिश्ते (India Russia relations) हैं, जो समय के साथ और भी मजबूत होते गए हैं। ये रिश्ते केवल राजनीतिक और कूटनीतिक ही नहीं, बल्कि रक्षा, ऊर्जा, विज्ञान, और संस्कृति के क्षेत्रों में भी गहरे हैं। भारत-रूस संबंधों की शुरुआत सोवियत संघ के दौर से (India Russia defense deals) हुई थी, जब भारत ने अपनी आजादी के बाद सोवियत संघ के साथ मिलकर कई वैश्विक मुद्दों पर सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाए थे। ध्यान रहे कि दोनों देशों के नेता एक-दूसरे के यहां आते जाते रहे हैं। अब व्लादिमीर पुतिन का यह दौरा (Putin India visit) भारत और रूस के बीच रिश्तों का एक नया इतिहास रचने जा रहा है।
भारत और रूस (पहले सोवियत संघ) के बीच रिश्तों की शुरुआत 1950 के दशक के अंत में हुई। भारत ने 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, सोवियत संघ को एक प्रमुख सहयोगी के रूप में देखा। दोनों देशों के बीच पहले से ही सामरिक और कूटनीतिक संबंध थे। भारत ने तत्कालीन सोवियत संघ से सैन्य और आर्थिक सहायता प्राप्त की। साल 1971 में भारत ने सोवियत संघ से एक अहम मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किए,जिसने दोनों देशों के बीच रिश्तों को एक नया आयाम दिया। यह संधि 20 वर्षों के लिए थी और इसके तहत दोनों देशों ने एक-दूसरे को सैन्य और कूटनीतिक समर्थन देने का वादा किया था।
भारत के प्रधानमंत्री ने भी कई बार रूस का दौरा किया है, जो भारत-रूस संबंधों को मजबूत करने में अहम रहे हैं। मसलन:
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने 1955 में सोवियत संघ का दौरा किया था। यह यात्रा भारत के और सोवियत संघ के रिश्तों की शुरुआत के रूप में मानी जाती है।
भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1967 और 1984 में सोवियत संघ का दौरा किया था। उनकी यात्रा ने दोनों देशों के बीच रक्षा और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा दिया।
प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी 1985 में सोवियत संघ का दौरा किया था और द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के साथ भारत के रिश्तों को नए स्तर पर पहुँचाया है। उन्होंने 2014 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ पहले शिखर सम्मेलन में भाग लिया, उसके बाद 2016 और 2018 में भी महत्वपूर्ण दौरों का आयोजन किया। इन दौरों के दौरान भारत-रूस रक्षा, ऊर्जा, और व्यापार के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
रूस के नेताओं ने भी भारत का कई बार दौरा किया, और इन यात्राओं ने दोनों देशों के रिश्तों को गहरा किया है। मसलन:
सोवियत संघ के प्रधानमंत्री निकोले ख़्रुश्चेव ने 1955 में भारत का दौरा किया था, जो दोनों देशों के रिश्तों की शुरुआत के तौर पर देखा जाता है।
सोवियत संघ के नेता लियोनेद ब्रेझनेव ने 1964 और 1973 में भारत का दौरा किया था, जिनकी यात्राओं ने रक्षा और कूटनीतिक रिश्तों को मजबूती दी।
सोवियत संघ के अंतिम नेता मिखाइल गोर्बाचेव ने 1986 में भारत का दौरा किया था। यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों के विस्तार के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी, खासतौर पर शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2000, 2004, 2010, 2016, 2021 और हाल ही में 2025 में भारत का दौरा किया । पुतिन की यात्राओं के दौरान दोनों देशों के बीच हुए रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, और विज्ञान में कई महत्वपूर्ण समझौते अहम हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2021 में जब भारत का दौरा किया था, तब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत किया। इस बार पुतिन का भारत दौरा विशिष्ट रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने एस-400 मिसाइल प्रणाली और अन्य रक्षा समझौतों पर बातचीत की है।
भारत और रूस के रिश्ते केवल सामरिक और कूटनीतिक नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच साझा ऐतिहासिक अनुभव और पारस्परिक सहयोग की भावना भी है। पुतिन और मोदी के नेतृत्व में, दोनों देशों के बीच रक्षा समझौतों, विशेष रूप से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली और ब्रह्मोस मिसाइल पर मजबूत सहयोग हुआ है।