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UN में पाकिस्तान ने अलापा कश्मीर राग, भारत ने 1971 की बर्बरता की दिलाई याद

Focus Keword: संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दा उठाया, भारत ने 1971 के बांग्लादेश नरसंहार की याद दिला कर जवाब दिया।

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Oct 07, 2025
पाकिस्तान ने यूएन में कश्मीर राग अलापा। (फोटो: IANS.)

India Pakistan UN: संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के अधिकारों और शांति पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठा कर दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिश की। लेकिन भारत (India Pakistan UN) ने करारा जवाब देते हुए पाकिस्तान की पोल खोल दी और 1971 में बांग्लादेश में हुए नरसंहार और सामूहिक बलात्कार की भयावह सच्चाई को सामने लाया। यह घटना वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत कूटनीति दर्शाती है। संयुक्त राष्ट्र में हुई इस चर्चा में पाकिस्तान की प्रतिनिधि साइमा सलीम ने कश्मीरी महिलाओं (Kashmir Issue) के अधिकारों का मुद्दा उठाया और दावा किया कि उन्हें शांति और सुरक्षा के एजेंडे से बाहर रखा जा रहा है। लेकिन भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने पाकिस्तान के इस भ्रामक प्रचार का जवाब देते हुए कहा कि वह देश दुनिया को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है, जिसने 1971 में बांग्लादेश में ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ (1971 Bangladesh Genocide) के तहत 4 लाख महिलाओं के खिलाफ हिंसा और नरसंहार को अंजाम दिया था।

पाकिस्तान का इतिहास दागदार

हरीश ने साफ कहा कि पाकिस्तान का इतिहास दागदार है। उन्होंने बताया कि 1971 में पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश में व्यवस्थित रूप से महिलाओं के खिलाफ अत्याचार किए, जिसे दुनिया आज भी याद करती है। भारत ने यह भी कहा कि जो देश अपने लोगों पर बमबारी और अत्याचार करता है, वह दूसरों पर झूठे आरोप लगाकर केवल ध्यान भटकाने की कोशिश करता है।

क्या महिलाओं के बिना शांति संभव है ?

पाकिस्तान का कश्मीर का मुद्दा उठाना कोई नई बात नहीं है। वह हर बार संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे को उठाता है, लेकिन भारत हर बार तथ्यों के साथ उसका मुंह बंद कर देता है। इस बार भी भारत ने न केवल पाकिस्तान के दुष्प्रचार को खारिज किया, बल्कि महिलाओं के अधिकारों पर अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया। पी. हरीश ने कहा कि शांति स्थापना में महिलाओं की भूमिका अब सवालों से परे है। असल सवाल यह है कि क्या महिलाओं के बिना शांति संभव है ?

क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंता का विषय

यह घटना भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव को फिर से उजागर करती है। साथ ही, यह बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियों पर भी सवाल उठाती है। हाल के दिनों में बांग्लादेश में आईएसआई के मॉड्यूल की सक्रियता की खबरें भी सामने आई हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंता का विषय है।

करारा जवाब देना एक बार फिर सुर्खियों में

पाकिस्तान का संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाना और भारत का करारा जवाब देना एक बार फिर सुर्खियों में है। भारत ने 1971 के बांग्लादेश नरसंहार की याद दिलाकर पाकिस्तान की पोल खोल दी, जो इस चर्चा को और गंभीर बनाता है। यह घटना वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत स्थिति और पाकिस्तान की भ्रामक रणनीति को उजागर करती है।

क्या संयुक्त राष्ट्र कोई कदम उठाएगा ?

इस घटना के बाद कई सवाल उठते हैं। क्या पाकिस्तान बार-बार कश्मीर का मुद्दा उठाकर वैश्विक मंच पर अपनी छवि और खराब कर रहा है? क्या संयुक्त राष्ट्र इस तरह की भ्रामक बयानबाजी को रोकने के लिए कोई कदम उठाएगा? साथ ही, बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों का क्षेत्रीय स्थिरता पर क्या असर होगा? इन सवालों के जवाब भविष्य में इस चर्चा को और रोचक बनाएंगे।

वैश्विक कूटनीति और नैतिकता के लिए अहम

यह घटना न केवल भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि वैश्विक मंचों पर ऐतिहासिक तथ्यों का उपयोग कैसे देशों की साख को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, यह सवाल उठता है कि क्या संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर महिलाओं के अधिकारों की चर्चा क्षेत्रीय विवादों से जोड़ना उचित है? यह घटना वैश्विक कूटनीति और नैतिकता पर भी प्रकाश डालती है।

सच्चाई और तथ्यों की अहमियत

बहरहाल यह खबर हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि वैश्विक मंचों पर सच्चाई और तथ्यों की कितनी अहमियत है। भारत ने एक बार फिर अपनी मजबूत कूटनीति से दुनिया को दिखा दिया कि वह झूठ और प्रचार का तथ्यों के साथ जवाब देना जानता है। ( IANS)

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