India-US trade negotiations: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में बाजार खोलने और टैरिफ को लेकर मतभेद जारी हैं।
India-US trade negotiations: अमेरिका ने भारत से साफ कहा है कि अगर वह अमेरिकी सामान बेचना चाहता है, तो उसे अपना बाजार खोलना होगा। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ( Howard lutnik)ने कहा कि भारत को अमेरिका के नियमों के मुताबिक़ चलना होगा। वे भारत, ब्राजील और स्विट्जरलैंड जैसे देशों का उदाहरण देते हुए बोले कि इन देशों को अपने बाजार खोलने और अमेरिका को नुकसान पहुंचाने वाली नीतियों को (India US trade talks) बदलना होगा। खासकर भारत को रूस से तेल खरीदना बंद करना होगा। भारत ने कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अमेरिकी सामानों के लिए बाजार खोलने से इनकार (Market access India US) किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Modi) ने हमेशा कहा है कि वे देश के किसानों की सुरक्षा करेंगे, क्योंकि ये किसान भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा हैं। भारत चाहता है कि किसानों की आय और हित सुरक्षित रहें, इसलिए वह इस मामले में कोई समझौता नहीं करेगा।
अमेरिका ने भारत पर काफी दबाव बनाया है, खासकर रूस से तेल खरीदने को लेकर। अमेरिकी वाणिज्य सचिव लुटनिक ने इस पर कड़ा रुख दिखाया और कहा कि यह भी एक बड़ी बाधा है जो दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को प्रभावित कर रही है। हालांकि भारत ने कहा कि युद्ध के दौरान भी अमेरिका ने उसे रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था।
हाल ही में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका गया था, जहां व्यापार समझौते और निवेश बढ़ाने पर चर्चा हुई। दोनों देशों ने कहा कि वे जल्द से जल्द एक लाभकारी व्यापार समझौते पर पहुंचना चाहते हैं, लेकिन अभी कई मुद्दे सुलझाने बाकी हैं।
लुटनिक ने बातचीत को फुटबॉल की भाषा में समझाया और कहा कि दोनों देश फिलहाल ऑफसाइड हैं, यानी अभी नियमों का पालन करके सही तरीके से खेलना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि समय के साथ भारत जैसे बड़े देश के साथ ये मुद्दे सुलझ जाएंगे।
अमेरिका का कड़ा रुख व्यापार समझौतों में उसकी सख्ती दर्शाता है, जबकि भारत ने अपनी आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं को मजबूती से बचाए रखा है। यह दर्शाता है कि दोनों देश अपने हितों की रक्षा के लिए बातचीत में सावधानी बरत रहे हैं।
आगामी महीनों में दोनों देशों के बीच और वार्ता होने की उम्मीद है, जिसमें कृषि और ऊर्जा के मुद्दों पर खास ध्यान दिया जाएगा। ट्रेड वार्ता के साथ-साथ दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नई दिशा देने की कोशिश जारी रहेगी।
इस व्यापार विवाद के बीच, दोनों देशों की सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी पर भी प्रभाव पड़ सकता है, खासकर दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती पकड़ को देखते हुए। व्यापारिक तनाव के बावजूद, सुरक्षा सहयोग मजबूत बना रहना दोनों के लिए जरूरी है।
बहरहाल अमेरिका भारत से व्यापार में बाजार खोलने की मांग कर रहा है, जबकि भारत किसानों की सुरक्षा के लिए कृषि और डेयरी क्षेत्रों में अमेरिकी सामानों की अनुमति नहीं देना चाहता। दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत जारी है, लेकिन कई मुद्दे अभी भी अनसुलझे हुए हैं।