Indian Bodies Stranded Abroad: पांच भारतीयों के शव पासपोर्ट नियमों की सख्ती के कारण विदेश में फंसे हुए हैं।
Indian Bodies Stranded Abroad: अमेरिका में फंसे पांच भारतीयों की पार्थिव देह (Indian Bodies Stranded Abroad) कई महीनों से घर नहीं लौट पा रही है। एयरलाइंस मूल पासपोर्ट की जिद पर अड़ी हुई हैं, जबकि दूतावास एनओसी (NOC for deceased Indians) जारी कर चुके हैं। पासपोर्ट खोना, फटना या अधिकारियों के पास रहना आम बात है, लेकिन नियमों की कठोरता परिवारों के सब्र का बांध तोड़ रही है। टीम एड ने जुलाई 2025 से गृह मंत्रालय को पत्र-रिमाइंडर भेजे थे, लेकिन नवंबर 2, 2025 तक चुप्पी सोध हुए है। इंडो-अमेरिकन कम्युनिटी लीडर टीम एड चीफ एडवाइजरप्रेम भंडारी बोले: "एनओसी पर्याप्त होना चाहिए। मानवीय फैसला है, एयरलाइंस जुर्माने का डर छोड़ें।" इमिग्रेशन नियमों से घबराहट है, लेकिन परिवारों का आंसू कौन पोंछे? यह इंसानियत का सवाल है, जहां दूतावास की मंजूरी को नजरअंदाज कर मानवाधिकार की अनेदखी की जा रही है।
प्रदीप कुमार (जुलाई 2025 से): गोली मारकर हत्या, पासपोर्ट नष्ट। दिल्ली परिवार इंतजार में।
सचिन कुमार (जुलाई): ब्रेन स्ट्रोक, पासपोर्ट अधिकारियों के पास। हरियाणा वाले अंतिम दर्शन तरसते।
हरदीप सिंह (जुलाई, टेक्सास बॉर्डर): अवैध क्रॉसिंग में डिहाइड्रेशन से मौत, पासपोर्ट खोया। पंजाब परिवार बेबस।
अभी सलारिया (अक्टूबर): खुदकुशी, पासपोर्ट फटा। कर्नल संतोष सिंह की अपील: "बिना पासपोर्ट लाने दो!"
प्रवीण यादव (जुलाई): कारण अस्पष्ट, पासपोर्ट गायब। यूपी परिवार स्टोरेज खर्च ($5000/माह) तले दबा।
अभी के परिवार के प्रतिनिधि कर्नल संतोष सिंह ने अपील की," बिना पासपोर्ट ही शव भारत लाने दो।" टीम एड के अध्यक्ष मोहन नन्नापानेनी कहते हैं, "पासपोर्ट न होने पर शव लाना मुश्किल हो गया है। विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से तुरंत समाधान चाहिए।" भंडारी ने पीएम मोदी पर भरोसा जताते हुए कहा, "उनकी अगुवाई में संवेदनशीलता से समस्या का समाधान होगा।" अगर नहीं, तो सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खुला है, जहां संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देकर मृतकों की गरिमा बचाई जा सकती है।
यह संकट सिर्फ चार या पांच परिवारों का नहीं, बल्कि हर प्रवासी भारतीय का है। विदेश में लाखों भारतीय रहते हैं, मौत तो आनी ही है। लेकिन नियम इतने कठोर क्यों हैं? टीम एड ने गृह सचिव को पत्र लिखा, रिमाइंडर भेजे, लेकिन चुप्पी के अलावा कुछ नहीं। दूतावास NOC जारी करते हैं, फिर भी एयरलाइंस मना कर दें, तो विश्वास टूटता है। विशेषज्ञ कहते हैं, इमिग्रेशन को गाइडलाइंस जारी कर NOC को पासपोर्ट का विकल्प मानना चाहिए। यह बदलाव लाएगा, वरना और कितने परिवार रोएंगे ?
अपडेट के मुताबिक, नवंबर 2, 2025 तक मामला वैसा ही है। कोई नया केस नहीं जुड़ा, लेकिन एनजीओ ने दोबारा विदेश मंत्रालय से बात की। प्रवासी संगठन सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। सरकार जल्दी कदम उठाए वरना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी होगी। (ANI)