ISI spy network in India: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI अब पारंपरिक घुसपैठ के बजाय नेपाल और पश्चिम एशिया के रास्ते भारत में जासूसी नेटवर्क फैला रही है।
ISI spy network in India: पाकिस्तान नेपाल के रास्ते (Nepal espionage route) भारत में जासूसी करवा रहा (Pakistan intelligence operations) है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने ISI का नया नेटवर्क (ISI spy network) पकड़ा है और इस संबंध में देश में 15 से ज्यादा गिरफ्तारियां की हैं। हाल ही में नेपाल के नागरिक अंसारुल मिया अंसारी की गिरफ्तारी से इस नई रणनीति (ISI spy network in India) का खुलासा हुआ है। ध्यान रहे कि 14 फरवरी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रौतहट, नेपाल के रहने वाले अंसारी को विश्वास नगर से गिरफ्तार किया था। उसके पास से सेना से जुड़े कई गोपनीय दस्तावेज, एक लैपटॉप, प्रिंटर और ट्रेनिंग मैनुअल बरामद किए गए थे।
अंसारी ने गिरफ्तारी से पहले एक बेहद संवेदनशील सीडी को शौचालय में बहा दिया, जिससे स्पष्ट है कि वह खुफिया जानकारी छिपाने की कोशिश कर रहा था। पुलिस का मानना है कि इसमें संवेदनशील सैन्य डाटा था।
पूछताछ में अंसारी ने कबूल किया कि वह 2008 से ISI के लिए काम कर रहा था। उसका संपर्क "यासिर" नामक पाकिस्तानी हैंडलर से व्हाट्सएप चैट और कॉल्स के ज़रिए होता था।
अंसारी भारत-नेपाल सीमा पार करते समय फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल करता था। भारत आने के बाद वह स्थानीय बिचौलियों से संपर्क कर खुफिया जानकारी एकत्र करता और उसे डिजिटल माध्यमों से भेजता।
इस जासूसी गिरोह में दिल्ली के एक कूरियर "पिंटू" और झारखंड के रांची निवासी अखलाक आजम भी शामिल हैं। आजम पर अंसारी को लॉजिस्टिक सहायता देने और पाकिस्तान से संवाद में रहने का आरोप है।
फोरेंसिक जांच में अंसारी के मोबाइल से पाकिस्तान से बातचीत के सबूत मिले हैं। साथ ही सेना की तैनाती से जुड़े मैप, कॉल रिकॉर्ड और रणनीतिक डेटा भी बरामद किया गया है।
जानकारी के अनुसार अंसारी की गिरफ्तारी के बाद भारत के कई राज्यों में छापेमारी की गई। राजस्थान, यूपी, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब में करीब 15 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, जिन पर आईएसआई ISI के लिए काम करने का संदेह है।
बरामद दस्तावेजों को सैन्य खुफिया महानिदेशालय (DGMI) को भेजा गया है। हालांकि DGMI ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि लीक हुई जानकारी बहुत संवेदनशील है।
भारत की गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों ने नेपाल और पश्चिम एशिया के जरिए हो रही ISI जासूसी गतिविधियों को नया हाइब्रिड खतरा बताया है। विशेष रूप से अंसारुल अंसारी जैसे विदेशी नागरिकों की गिरफ्तारी से यह बात साफ हो गई है कि अब पारंपरिक सीमा-पार जासूसी से हट कर आईएसआई ISI ने लो-प्रोफाइल, लंबी अवधि की जासूसी एसेट्स तैयार करनी शुरू कर दी हैं। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इसे भारत के भीतर छिपे स्लीपर नेटवर्क्स के संकेत के रूप में देखा है, जो किसी भी बड़े आतंकी हमले से पहले इंटेल प्री-कलेक्शन का काम करते हैं।
जानकारी के अनुसार रॉ और आईबी अब नेपाल सीमा से आने-जाने वालों पर डिजिटल निगरानी बढ़ा रही हैं। विदेश मंत्रालय नेपाल और कुछ खाड़ी देशों से इंटेलिजेंस एक्सचेंज को तेज करेगा। सीआरपीएफ और सैन्य इंटेलिजेंस को अंदरूनी कैम्पस सुरक्षा के नए एसओपी बनाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही "हाई रिस्क एंट्री पॉइंट्स" की लिस्ट को सार्वजनिक नहीं, लेकिन अपडेटेड किया जाएगा।
आईएसआई अब नेपाल और भारत की खुली सीमा का अपने नए रूट के रूप में फायदा अब ले रही है। नेपाल में कुछ कट्टरपंथी संगठनों और आईएसआई के बीच सहयोग की भी खुफिया रिपोर्ट सामने आई है।
बहरहाल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ISI की इस नई रणनीति ने भारतीय एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। कई मामलों में ISI की ओर से WhatsApp, Signal, Telegram और Darknet Tools का इस्तेमाल देखा गया है। अब ISI ऐसे विदेशी नागरिकों का इस्तेमाल कर रहा है, जो भारत में आसानी से घूम-फिर सकें और शक की नजर से बचे रहें। अंसारी के फोन से डिजिटल सैन्य मैप्स और फाइल ट्रांसफर करने के ठोस सुबूत मिले हैं।