Islamic Counties: पश्चिमी एशिया में डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ से पहले अरब देशों ने इजरायल और अमेरिका के खिलाफ एकजुटता दिखाने की कोशिश की है।
Islamic Countries: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने रियाद में अरब और मुस्लिम नेताओं के शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर मांग की है कि इजरायल गाजा और लेबनान में अपने सैन्य आक्रमण को तुरंत रोके। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की ताजपोशी से पहले हो रहे अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के इस संयुक्त शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए क्राउन प्रिंस (Mohammed Bin Salman) ने 'फिलिस्तीनी और लेबनानी लोगों के नरसंहार की निंदा करते हुए' इजरायल से (Israel) 'आगे आक्रामकता के किसी भी अन्य कृत्य से बचने' का आग्रह किया।
क्राउन प्रिंस ने दुनिया भर के देशों से फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने का आह्वान किया। इसके पूर्व सऊदी प्रेस एजेंसी ने एक बयान में कहा कि गाजा और लेबनान में इजरायल की 'आक्रामकता' ने 'अरब और इस्लामी नेताओं को तत्काल कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया है।'
वहीं, अरब राष्ट्र संघ के महासचिव अहमद अबुल घीत ने भी क्राउन प्रिंस के साथ मिलकर गाजा और लेबनान में इजरायल के सैन्य अभियान की निंदा की और कहा कि 'शब्दों में फिलिस्तीनी लोगों की दुर्दशा को व्यक्त नहीं किया जा सकता।' अबुल गेइत ने जोर देकर कहा, दुनिया इजरायली हिंसा पर आंखें नहीं मूंद सकती।
शिखर सम्मेलन से ठीक पहले, सऊदी अरब के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने ईरानी अफसरों के साथ बैठक की है। सऊदी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ फय्याद अल-रुवैली ने तेहरान में ईरानी सेना के शीर्ष अफसर जनरल मोहम्मद बघेरी से ईरानी सशस्त्र बल जनरल स्टाफ मुख्यालय में मुलाकात की। रिपोर्ट में इस बैठक का विषय रक्षा कूटनीति का विकास और द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार बताया गया है। गौरतलब है कि दोनों देशों में लंबे समय से रिश्ता तनावपूर्ण रहा है। पिछले साल दोनों देशों के बीच संबंध बहाल हुए थे। पश्चिम एशिया में तनाव के बीच संबंध बहाली के बाद से इसे एक दुर्लभ उच्च स्तरीय बैठक की तरह देखा जा रहा है। बैठक में जनरल बाघेरी ने दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग पर जोर दिया है।
यह शिखर सम्मेलन रियाद में काहिरा स्थित अरब लीग और जेद्दा स्थित इस्लामिक सहयोग संगठन की इसी तरह की बैठक के करीब एक साल बाद हो रहा है, जिसके दौरान नेताओं ने गाजा में इजरायल की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे 'बर्बर' बताया था। हालांकि, वे इजरायल के खिलाफ कार्रवाई, इजरायल के साथ आर्थिक और कूटनीतिक संबंध तोड़ने और इसकी तेल आपूर्ति बाधित करने जैसे उपायों पर सहमत नहीं हो पाए थे, बावजूद इसके कि इसके सम्मेलन में यहूदी देश से आर्थिक और कूटनीतिक संबंध तोड़ने का आह्वान किया गया था।
गौरतलब है कि 57 सदस्यीय ओआइसी और 22 सदस्यीय अरब लीग में वे देश शामिल हैं जो इजरायल को मान्यता देते हैं और वे देश भी जो इसके क्षेत्रीय एकीकरण का दृढ़ता से विरोध करते हैं।
सम्मेलन में तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैय्यप अर्दोआन, संयुक्त अरब अमीरात के उपराष्ट्रपति शेख मंसूर बिन जायद अल-नाहयान, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला टीनूबू और लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती, फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास, कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी समेत सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला-द्वितीय शामिल हुए। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान व्यस्तता के कारण बैठक में शामिल नहीं हुए। लेकिन एमबीएस के साथ फोन पर बातचीत में पेजेश्कियान ने कहा कि ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा आरिफ शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
जानकारों का मानना है कि शिखर सम्मेलन आने वाले ट्रंप प्रशासन को यह संकेत देने का एक अवसर है कि इजरायल के मसले पर उनका संकल्प और एकजुटता किस स्तर की है और वे अमरीकी भागीदारी के संदर्भ में क्या चाहते हैं।