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Hijab: इस कट्टर इस्लामी देश में मुस्लिम महिलाओं की ‘साइलेंट क्रांति’, बिना हिजाब के निकलीं बाहर

Hijab: मुस्लिम महिलाएं बगैर हिजाब के सड़कों और बाजारों में निकल पड़ीं। महिलाओं ने जिन, जियान, आजादी (महिला, जीवन और आजादी) की गूंज अब ईरान में स्पष्ट तौर पर सुनी जा सकती है।

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Iran Women Silent revolution came out without hijab

Hijab: कट्टरपंथी इस्लामी देशों में महिलाओं के लिए काफी दयनीय हालात बने हुए हैं। वहीं कुछ देशों में अब महिलाएं (Muslim Women) अब अपने अधिकारों के लिए लड़ना शुरू कर रही हैं, ये जानते हुए भी इस क्रांति से उन्हें अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है। दरअसल ऐसी ही साइलेंट क्रांति ईरान में आ रही है। ईरान (Iran) में हिजाब लगाने को लेकर मोरेलिटी पुलिस के हाथों जान गंवाने वाली महसा अमीनी (Mahsa Amini) की मौत की दूसरी बरसी के मौके पर इस्लामिक गणतंत्र में एक साइलेंट क्रांति देखने को मिल रही है। ईरान में अमीनी के समर्थन में महीनों तक सड़कों पर आंदोलन-प्रदर्शन देखे गए थे। 2 साल बाद, आंदोलन के नारे जिन, जियान, आजादी (महिला, जीवन और आजादी) की गूंज अब ईरान में स्पष्ट तौर पर सुनी जा सकती है।

बदले-बदले दिखे पार्क और बाजार

अमीनी की दूसरी बरसी पर ईरान की सड़कें और बाजार बदले से दिखे। यहां पर महिलाएं अब बेखौफ बिना हिजाब के देखी गईं। तेहरान की सड़कों पर खासकर देर शाम तक महिलाएं बिना हिजाब के अपने बाल खोले घूमते देखी गईं। शहर के पार्कों और बाजारों में महिलाएं खुले आम बिना हिजाब के नजर आईं। इसे लेकर कई वीडियो भी सामने आ रहे हैं। वहीं, बरसी के मौके पर अमीनी के माता-पिता पर अपनी पुत्री की याद में कोई भी सभा आयोजित करने पर रोक लगाई गई और उन्हें घर में नजरबंद रखा गया। यहां तक कि जिस सक्केज के जिस कब्रगाह में अमीनी को दफनाया गया, उसका रास्ता भी बंद कर दिया गया।

मोरेलिटी पुलिस नहीं करेगी परेशान, राष्ट्रपति ने लिए संकल्प

वहीं, बड़ी मात्रा में युवाओं और महिलाओं के समर्थन से चुनाव जीते ईरान के नए सुधारवादी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने अमीनी की मौत की दूसरी बरसी पर सोमवार को संकल्प लिया कि नैतिकता पुलिस अब महिलाओं को परेशान नहीं करेगी। इस दौरान पेजेश्कियान ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ऑनलाइन, खासकर सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों को कम करने के लिए काम कर रही है।

जेल में हड़ताल पर महिला कैदी

उधर, तेहरान की एविन जेल में अमीनी की मौत की दूसरी बरसी पर 34 महिला कैदियों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। इउनमें से कुछ प्रमुख ईरानी कार्यकर्ता हैं, जिनमें नरगिस मोहम्मदी, वेरीशेह मोरादी, महबोबेह रेज़ाई और परिवाश मुस्लिमी जैसे महिला एक्टिविस्ट शामिल हैं।

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