Israel attack in Doha: इज़राइल ने कतर की राजधानी दोहा में हमास के एक वरिष्ठ नेता पर हमला किया है, जिससे मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ गया है।
Israel attack in Doha: इज़राइल और हमास के बीच जारी तनाव अब कतर (Qatar Israel tensions) तक पहुँच गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इज़राइल ने दोहा (कतर की राजधानी) में एक हमास नेता के ठिकाने को निशाना बनाते हुए हमला (Israel attack in Doha) किया है। यह हमला कथित रूप से हमास की शीर्ष नेतृत्व टीम (Hamas leader targeted) को खत्म करने की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। इससे हजारों प्रवासी भारतीय नागरिकों पर खतरा मंडरा रहा है। ध्यान रहे कि दोहा अब तक मध्य-पूर्व में एक शांति वार्ताओं का केंद्र माना जाता रहा है, अब संघर्ष के केंद्र में आ गया है। इज़राइल का यह कदम संकेत देता है कि अब वह सिर्फ गाजा या लेबनान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जहां भी हमास के नेता मिलेंगे, वहीं कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि कतर में रहने वाले विदेशी लोगों में भारतीयों की संख्या सबसे ज़्यादा है। 2025 के आंकड़ों के मुताबिक, कतर में लगभग 7 से 8.4 लाख भारतीय रहते हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, करीब 7 लाख भारतीय वहां रह रहे हैं, जो कतर की कुल आबादी का लगभग 22% हिस्सा हैं। वहीं, भारत सरकार (MEA) के अनुसार यह संख्या 8.37 लाख (836,784) के करीब है।इस तरह देखा जाए तो कतर में रहने वाले भारतीयों की संख्या 7 से 8.4 लाख के बीच मानी जाती है, जो वहां की आबादी का एक महत्वपूर्ण और बड़ा हिस्सा हैं।
कतर सरकार ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है। कतर के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि "इस तरह के हमले क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।" साथ ही, कतर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि इज़राइल को ऐसे दुस्साहसी कदमों से रोका जाए।
दोहा में लंबे समय से हमास के कई वरिष्ठ नेता रह रहे हैं, क्योंकि कतर ने अतीत में मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। लेकिन अब इज़राइल ने ये संकेत दे दिया है कि वह हमास के ठिकानों पर हमला करने के लिए भूगोल की सीमाएं नहीं मानेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति को मारने के लिए नहीं था, बल्कि हमास के वैश्विक नेटवर्क को तोड़ने की शुरुआत है।
इज़राइल की यह कार्रवाई केवल कतर ही नहीं, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकती है। लेबनान, सीरिया, ईरान और अब कतर—इन देशों में हमास की मौजूदगी पहले से है। ऐसे में, इज़राइल की नीति अब ‘जहां हमास, वहां हमला’ बनती दिख रही है।
बहरहाल इज़राइल का यह कदम साफ करता है कि वह हमास के खिलाफ अपने मिशन में किसी भी सीमा या संप्रभुता की परवाह नहीं करेगा। कतर की नाराज़गी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया इस घटना को राजनयिक विवाद में बदल सकती है। आने वाले समय में यह हमला मिडिल ईस्ट के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकता है।