इजराइली वायु सेना ने यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर बड़े हमले किए। इजराइली रक्षा बलों ने हूती के सुरक्षा और खुफिया तंत्र, जनरल स्टाफ कमांड मुख्यालय और सैन्य शिविरों को निशाना बनाया। यह हमला हूती विद्रोहियों द्वारा इजराइल पर किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों के जवाब में किया गया है। इजराइल ने पहले भी हूती विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिसमें होदेदा में हवाई हमले शामिल हैं।
इजराइल ने ड्रोन हमले का करारा जवाब दिया है। इजराइली वायु सेना ने गुरुवार को यमन के सुदूर सना क्षेत्र में हूती ठिकानों पर बड़े हमले किए हैं। इजराइली रक्षा विभाग ने इस बात की जानकारी दी है।
रक्षा विभाग की तरफ से बताया गया है कि इजराइली विमानों ने हूती के सुरक्षा व खुफिया तंत्र जैसे ठिकानों पर हमला किया है। जिन ठिकानों पर हमला किया गया है, उनमें हूती जनरल स्टाफ कमांड मुख्यालय, आतंकवादी शासन के सुरक्षा-खुफिया तंत्र के परिसर, हूती सैन्य सूचना विभाग का मुख्यालय और सैन्य शिविर शामिल हैं।
बता दें कि शनिवार को इजराइल के ऐलात पर हूती ने ड्रोन हमला किया था। इसमें 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए। जिनमें दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। जवाबी कार्रवाई के रूप में इजराइल ने हूती ठिकानों को निशाना बनाया।
इजराइली रक्षा विभाग ने कहा कि सुरक्षा-खुफिया तंत्र हूती आतंकवादी शासन के आंतरिक सुरक्षा तंत्रों में से एक है, जो आतंकवादी अभियानों में भाग लेता है।
यह इजराइल के खिलाफ सैन्य गतिविधियों को बढ़ावा देने में सीधे तौर पर योगदान देता है। यह राजनीतिक जेलों और यातनाओं का इस्तेमाल करके शासन के विरोधियों का दमन भी करता है।
आधिकारिक बयान में यह भी बताया गया कि जिन सैन्य शिविरों पर हमला किया गया, उनका इस्तेमाल हूती हथियार जमा करने और इजराइल के विरुद्ध आतंकवादी साजिशों की योजना बनाने व उन्हें अंजाम देने के लिए करते हैं।
बता दें कि पिछले कुछ महीनों में यमन के ईरान समर्थित हूतियों ने इजराइल पर 70 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें और 25 से ज़्यादा ड्रोन दागे हैं। अधिकांश मिसाइलें या तो रोक ली गईं या इजराइली क्षेत्र से बाहर गिर गईं।
इजराइल और यमन के ईरान-समर्थित हूती विद्रोहियों के बीच का विवाद मुख्य रूप से 2023 में शुरू हुए इजराइल-हमास युद्ध का हिस्सा है। हूती समूह फिलिस्तीनियों के समर्थन में इजराइल पर हमले करता है।
उसने लाल सागर में इजराइल से जुड़े जहाजों पर हमले शुरू किए। इजराइल ने इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए जवाबी कार्रवाई की। यह विवाद अब एक अलग मोर्चे पर बदल गया है, जिसमें हवाई हमले, मिसाइलें और ड्रोन शामिल हैं।