Ripudaman Singh Malik : एयर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट 1985 के संदिग्ध रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के लिए टान्नर फॉक्स को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है।
Air India Kanishka bombing: कनाडा में एक कॉन्ट्रैक्ट किलर को 1985 के एयर इंडिया बम विस्फोटों (Air India Kanishka bombing)में बरी किए गए एक संदिग्ध की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया है, जिसमें 331 लोगों की जान चली गई थी। टान्नर फॉक्स (Tanner Fox)को रिपुदमन सिंह मलिक (Ripudaman Singh Malik) की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जिनकी जुलाई 2022 में उनकी फर्म के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। टान्नर फॉक्स और उसके सहयोगी जोस लोपेज़ (Jose Lopez) ने कुबूल किया कि उन्हें पश्चिमी कनाडा के वैंकूवर के एक उपनगर में मलिक की हत्या करने के लिए भुगतान किया गया था, लेकिन उन्होंने यह खुलासा नहीं किया कि उन्हें भुगतान किसने किया था। लोपेज़ की अदालत में 6 फरवरी को अगली पेशी है।
उल्लेखनीय है कि 23 जून 1985 को टोरंटो से मुंबई, कनाडा से भारत आ रही एयर इंडिया की उड़ान संख्या 182 में आयरिश तट के पास विस्फोट हो गया था,इस दुर्घटना में विमान के उड़ान भरने के 45 मिनट बाद, आयरिश तट के पास एक शक्तिशाली बम विस्फोट हुआ, जिससे विमान हवा में ही बिखर गया और विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी। जेट अपने गंतव्य से केवल 45 मिनट पहले हवा में ही बिखर गया, इस दौरान कोई चेतावनी या आपातकालीन कॉल जारी नहीं की गई। उड़ान संचालित करने वाला विमान बोइंग 747-237बी पंजीकृत वीटी-ईएफओ था और इसका नाम सम्राट कनिष्क था।
इस हमले को अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के हमलों तक सबसे घातक विमानन आतंकवादी घटना माना गया था। विमान में अधिकतर यात्री कनाडा के नागरिक थे, जो भारत में रिश्तेदारों से मिलने पहुंचे थे। इसके साथ ही, जापान के नारिता हवाई अड्डे पर एक और विस्फोट की सूचना मिली थी, जिसमें दो सामान संभालने वालों की जान चली गई, जो एयर इंडिया के विमान पर सामान लाद रहे थे।
बाद में दोनों सूटकेस बम वैंकूवर में पाए गए, जो एक बड़ी सिख आप्रवासी आबादी का घर है। कनाडा सरकार की रिपोर्टों के अनुसार, माना जाता है कि पंजाब के स्वर्ण मंदिर में भारतीय सेना के 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' का बदला लेने के लिए कनाडा स्थित सिख अलगाववादियों ने बम विस्फोट किए थे। इसके 5 महीने बाद, दो संदिग्धों - तलविंदर सिंह परमार और इंद्रजीत सिंह रेयात को गिरफ्तार किया गया। परमार जिसे हमले का मास्टरमाइंड माना जाता था, सुबूतों की कमी के कारण उसके खिलाफ आरोप हटा दिए गए थे। दो आरोपियों - रिपुदमन सिंह मलिक और अजायब सिंह बागरी को 2000 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्हें भी 2005 में अपर्याप्त सुबूतों के आधार पर बरी कर दिया गया था। इंद्रजीत सिंह रेयात एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें साजिश में बम बनाने और मलिक और बागरी के मुकदमे में झूठ बोलने के लिए दोषी ठहराया गया है।