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Nimisha Priya: यमन की जेल से जल्द ही बाहर आ सकती है निमिषा प्रिया, आ गया बड़ा अपडेट

यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की रिहाई की उम्मीद जगी है! संयुक्त अरब अमीरात और कतर के व्यापारियों के ज़रिए जारी बातचीत से जल्द ही अच्छी खबर मिलने की संभावना है। 16 जुलाई को होने वाली फांसी टलने के बाद यह बड़ी राहत भरी खबर है। क्या निमिषा जल्द घर वापस आ पाएंगी?

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Aug 27, 2025
यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया। (फोटो- IANS)

यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की रिहाई को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। दरअसल, विधायक चांडी ओमन ने इस मामले में अहम जानकारी दी है।

उन्होंने कहा है कि यमन में जो संयुक्त अरब अमीरात और कतर व्यापारी रहते हैं, उनके माध्यम से निमिषा की रिहाई को लेकर बातचीत सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है। ओमन ने कहा कि आने वाले दिनों में निमिषा की रिहाई को लेकर अच्छी खबर मिल सकती है।

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बता दें कि चांडी केरल के दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत ओमन चांडी के पुत्र हैं। वह साल 2023 से निमिषा प्रिया के मामले को लेकर सक्रिय रूप हैं। चांडी ने तीन बार केरल के राज्यपाल राजेंद्र वी. आर्लेकर से इस मामले को केंद्र के समक्ष उठाने का आग्रह किया है।

16 जुलाई को दी जानी थी फांसी

निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी, लेकिन कई चरणों की लंबी बातचीत के बाद, उसकी फांसी स्थगित कर दी गई है। कई पक्षों की ओर से फांसी को रोकनी का प्रयास किया गया था।

इसमें भारत सरकार के साथ-साथ सऊदी अरब की एजेंसियों का भी पूरा समर्थन मिला। इसके अलावा, कंथापुरम के ग्रैंड मुफ्ती ए.पी. अबूबकर मुसलियार ने भी इस मामले में धार्मिक हस्तक्षेप किया।

उन्होंने यमन की शूरा काउंसिल में अपने एक मित्र से मध्यस्थता के लिए संपर्क किया था, इन सभी प्रयासों के बाद अगले आदेश तक फांसी को स्थगित करने का निर्णय लिया गया।

ये है पूरा मामला

केरल के पलक्कड़ जिले के कोलेनगोडे की एक नर्स निमिषा प्रिया 2008 में अपने माता-पिता का भरण-पोषण करने यमन चली गई थी। उन्होंने कई अस्पतालों में काम किया और अंततः अपना खुद का क्लिनिक खोलने का फैसला किया।

2017 में, उनके और उनके यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी के बीच पैसों को लेकर विवाद हो गया था। परिवार के लोगों ने बताया कि निमिषा ने कथित तौर पर महदी को अपना जब्त पासपोर्ट वापस पाने के लिए बेहोशी का इंजेक्शन लगाया था।

दुर्भाग्य से, ज्यादा मात्रा में दवा लेने से उसकी मौत हो गई। उसे देश से भागने की कोशिश करते समय गिरफ्तार किया गया और 2018 में उसे हत्या का दोषी ठहराया गया।

2020 में, वहां की एक निचली अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई और यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में इस फैसले को बरकरार रखा, हालांकि उसे बचाने के लिए अभी भी ब्लडमनी का विकल्प खुला है।

Updated on:
27 Aug 2025 11:48 am
Published on:
27 Aug 2025 11:29 am
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