नासा की रिपोर्ट में चौंकाने वाले जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक सूरज फिर से एक्टिव हो रहा है। इसका असर दुनिया की तकनीक प्रणाली को हिलाकर रख सकती है। जानिए इससे बचने के लिए वैज्ञानिक क्या कर रहे हैं?
वैज्ञानिकों ने सोचा था कि सूरज अब लंबे समय तक ‘शांत’ रहेगा। साल 2008 में यह अपने सबसे कमजोर दौर में पहुंचा था और भविष्यवाणी की गई थी कि आगे भी इसकी चमक फीकी पड़ती जाएगी। लेकिन नासा के नए अध्ययन ने चौंका दिया है कि सूरज फिर से जबरदस्त एक्टिव हो रहा है। इसका असर सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं रहेगा। जब सूरज से सोलर स्टॉर्म या फ्लेयर निकलते हैं, तो वे धरती की तकनीकी प्रणालियों को हिला सकते हैं। पावर ग्रिड, जीपीएस सिस्टम और रेडियो संचार पर इसका सीधा असर पड़ सकता है।
पिछले साल मई में दर्ज हुआ 20 साल का सबसे ताकतवर जियोमैग्नेटिक तूफान इतना तेज था कि ‘नॉर्दर्न लाइट्स’ यानी ऑरोरा मेक्सिको तक दिखाई देने लगे। 1980 के दशक से 2008 तक सूरज की ताकत लगातार घट रही थी। उस समय नासा ने माना था कि सूरज इतिहास के सबसे कमजोर दौर में है। आमतौर पर सूरज की गतिविधि 11 साल के चक्रों में बदलती है। फिलहाल धरती ‘सोलर साइकिल 25’ में है, जो 2020 में शुरू हुआ था।
धरती पर आज हमारी जिंदगी पूरी तरह तकनीक पर टिकी है, बैंकिंग से लेकर मोबाइल इंटरनेट और हवाई जहाजों से लेकर जहाजों के नेविगेशन तक। वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसे में अगर एक भी बड़ा सोलर स्टॉर्म आ गया, तो कुछ घंटों या दिनों तक ये सारे सिस्टम ठप हो सकते हैं। इंटरनेट सेवाएं बदं हो जाएं तो दुनियाभर की कई प्रणालियां एक झटके में रुक सकती हैं। अंतरिक्ष मिशन भी खतरे में पड़ सकते हैं।
खतरे से निपटने के लिए नासा और एनओएए (नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन) कई नए मिशन लॉन्च कर रहे हैं। यह मिशन सूरज से निकलने वाली ऊर्जा और कणों की बारीकी से निगरानी करेंगे ताकि अंतरिक्ष मौसम की सटीक भविष्यवाणी की जा सके। नासा के यह मिशन सिर्फ धरती के लिए ही नहीं, बल्कि आर्टेमिस मिशन के लिए भी अहम है, जिसमें इंसानों को फिर से चांद पर भेजा जाना है।