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Nepal Gen-Z protest से कैसे भड़की हिंसा की आग, क्या जांच आयोग के सामने आ पाएगा सच ?

Gen-Z Nepal Protest Investigation: नेपाल में जनरेशन जेड आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और नुकसान की जांच के लिए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय न्यायिक आयोग बनाया गया है।

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Sep 21, 2025
GenZ Protest in Nepal (Photo - ANI)

Gen-Z Nepal Protest Investigation: नेपाल सरकार ने हाल ही में हुए Gen-Z आंदोलन (Gen-Z protest Nepal) में हुई हिंसा और तोड़-फोड़ की जांच (protest violence investigation) के लिए तीन सदस्यों वाला एक उच्च न्यायिक आयोग (Nepal judicial commission) बनाया है। यह फैसला नेपाल की मंत्रिपरिषद की रविवार को हुई बैठक में लिया गया। गृह मंत्री ओम प्रकाश आर्यल (Nepal government response)ने बताया कि इस आयोग का नेतृत्व पूर्व विशेष न्यायालय के अध्यक्ष और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश गौरी बहादुर काकी करेंगे। इसके साथ ही दो अन्य सदस्य भी इस जांच में शामिल होंगे। इस जांच आयोग में नेपाल पुलिस के पूर्व अतिरिक्त महानिरीक्षक ज्ञान राज शर्मा और वकील बिश्वेश्वर प्रसाद भंडारी भी सदस्य हैं। सरकार ने इस जांच के लिए आयोग को कुल तीन महीने का समय दिया है ताकि वह पूरी तरह से घटनाओं की पड़ताल कर सके। मंत्रिपरिषद ने पिछले सप्ताह इस जांच आयोग को बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी दी थी, जो अब आधिकारिक रूप से लागू हो गई है।

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं

नेपाल में 8 सितंबर को भ्रष्टाचार के खिलाफ और सोशल मीडिया पर लगा प्रतिबंध हटाने के लिए संसद के सामने छात्र और युवा प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोजियां चलाईं, जिसमें 21 लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद पूरे देश में तनाव फैल गया। अगले कुछ दिनों में हिंसा के कारण कुल 39 लोग मारे गए, जिनमें 15 की जलने से मौत हुई। पुलिस की गोलीबारी में मारे गए लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर और सीने में गोली लगने की पुष्टि हुई है।

अंतरिम सरकार ने इन युवाओं को शहीद घोषित किया

नेपाल की नई अंतरिम सरकार ने 12 सितंबर को उन सभी मारे गए युवाओं को शहीद घोषित कर दिया है। इसके अलावा, उनके परिवारों को राहत के रूप में दस लाख नेपाली रुपये की मदद देने का फैसला लिया गया है। हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में यह भी प्रस्ताव मंजूर हुआ कि मारे गए परिवारों को अतिरिक्त पांच लाख रुपये भी दिए जाएं। यह पहली कैबिनेट बैठक थी, जो प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के नेतृत्व में हुई।

देश में हुई तोड़-फोड़ से भी भारी नुकसान हुआ

इस आंदोलन के दौरान देश में हुई तोड़-फोड़ से भी भारी नुकसान हुआ है। एक सरकारी सर्वेक्षण में पता चला कि लगभग 700 वाहन जलाए गए और उन्हें पूरी तरह से नुकसान पहुंचा है। इसमें 250 से ज्यादा चारपहिया और 450 से ज्यादा दोपहिया वाहन शामिल हैं। इस हिंसा के कारण बीमा कंपनियों को भी भारी दावे मिले हैं। नेपाल बीमा प्राधिकरण के अनुसार लगभग 1984 बीमा दावे दर्ज किए गए हैं, जिनकी कुल राशि करीब 2070 करोड़ नेपाली रुपये है।

प्राइवेट बीमा कंपनियों पर दबाव

प्राइवेट बीमा कंपनियां इस दबाव को झेल रही हैं। उदाहरण के लिए, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को अकेले 514.7 करोड़ रुपये के दावे मिले हैं। वहीं सिद्धार्थ प्रीमियर इंश्योरेंस को 493 करोड़ और शिखर इंश्योरेंस को 239 करोड़ रुपये के दावे प्राप्त हुए हैं। सरकारी पुनर्बीमा कंपनी नेपाल पुनर्बीमा (एनआरआईसी) पर भी भारी दबाव है, क्योंकि वह 1177 करोड़ रुपये के दावों के लिए जिम्मेदार है।

कई होटलों को लूटा गया

आर्थिक नुकसान के अलावा, इस आंदोलन ने कई प्रतिष्ठित संस्थानों और व्यवसायों को भी नुकसान पहुंचाया है। इसमें भट-भटेनी सुपरस्टोर, कांतिपुर मीडिया ग्रुप, उल्लेंस स्कूल, सीजी इम्पेक्स, यूनाइटेड डिस्ट्रीब्यूटर्स, और राष्ट्रीय वाणिज्य बैंक की न्यू बानेश्वर शाखा से 18 किलो सोने की चोरी के मामले शामिल हैं। इसके अलावा पोखरा स्थित बगईचा होटल और होटल सरोबर से भी लूट की घटनाएं हुई हैं।

नेपाल में सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता

बहरहाल नेपाल में यह आंदोलन और हिंसा केवल आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि देश की सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता को भी प्रभावित कर रहा है। सरकार की कोशिश है कि जांच आयोग के माध्यम से सच सामने आए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। साथ ही, पीड़ित परिवारों को न्याय और सहायता मिले ताकि वे अपने जीवन को फिर से पटरी पर ला सकें।

इनपुट : एएनआई

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