Nepal Parliament Protest 2025:नेपाल की संसद में घुसे प्रदर्शनकारियों ने गेट पर आग लगा दी, जिससे काठमांडू समेत कई शहरों में हिंसा भड़क उठी।
Nepal Parliament Protest 2025: नेपाल की संसद में प्रदर्शनकारी घुस गए (Nepal Parliament Protest 2025) और गेट पर आग लगा दी। काठमांडू समेत कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए, जहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। काठमांडू पोस्ट के अनुसार पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। कर्फ्यू (Kathmandu Curfew News)लगा दिया गया है और पुलिस की फायरिंग में 20 व्यक्तियों की मौत हो गई और 250 से अधिक लोग जख्मी हो गए हैं। नेपाल में सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध (Gen Z Protest in Nepal) को लोग स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जिससे जनता में भारी असंतोष फैल गया है। इस विरोध प्रदर्शन के बाद भारत-नेपाल सीमा पर अलर्ट लागू कर दिया गया है। भारत-नेपाल सीमा के भैरहवा में भी कर्फ़्यू लगा दिया गया है। ध्यान रहे कि नेपाल की राजधानी काठमांडू में संसद के बाहर पिछले कुछ दिनों से भारी विरोध प्रदर्शन (Nepal Political Unrest) हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद के बाहर तोड़फोड़ की और कई जगह आग भी लगाई। पुलिस ने इन्हें रोकने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं।
काठमांडू पोस्ट के अनुसार भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के खिलाफ जेन जेड पीढ़ी के नेतृत्व में यह विरोध प्रदर्शन डिजिटल स्पेस से सड़कों पर आ गया है। हजारों की संख्या में युवा राजधानी काठमांडू की सड़कों पर उतर आए हैं। सैकड़ों प्रदर्शनकारी नेपाल के संसद परिसर में घुस गए और वहां तोड़-फोड़ मचाई है। इसे देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की।
ये सभी फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, स्नैपचैट सहित 26 अपंजीकृत सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इस कारण मद्देनजर काठमांडू में कर्फ्यू लगाया गया है। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। इस आंदोलन को "जेन जी रिवॉल्यूशन" नाम दिया गया है, जिसमें युवा वर्ग, खासकर छात्र और नई पीढ़ी के युवा शामिल हैं। ये विरोध प्रदर्शन उस वक्त शुरू हुआ जब केपी शर्मा ओली की सरकार ने पिछले हफ्ते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया।
शुरुआत में यह आंदोलन सिर्फ ऑनलाइन असंतोष और बहस तक सीमित था, लेकिन देखते ही देखते इसने डिजिटल स्पेस से निकलकर सड़कों पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार विरोधी विरोध प्रदर्शन का रूप ले लिया। सोमवार सुबह 9 बजे से ही प्रदर्शनकारी काठमांडू के मैतीघर में अपनी असहमति जताने के लिए जमा हो गए। गौरतलब है कि नेपाल में हाल के दिनों में, नेपाल में भाई-भतीजा को निशाना बनाते हुए 'नेपो किड' और 'नेपो बेबीज' जैसे हैशटैग ऑनलाइन ट्रेंड कर रहे थे। सरकार द्वारा अपंजीकृत प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने के फैसले के बाद इनमें और तेज़ी आ गई है।
काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय के अनुसार, 'हामी नेपाल' ने इस रैली का आयोजन किया था, जिसके लिए पूर्व अनुमति ली गई थी। समूह के अध्यक्ष सुधन गुरुंग ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन सरकारी कार्रवाइयों और भ्रष्टाचार के विरोध में है और देश भर में इसी तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शन विराटनगर, बुटवल, चितवन, पोखरा और अन्य शहरों में भी फैल गया है। यहां युवाओं ने भ्रष्टाचार और देशव्यापी सोशल मीडिया शटडाउन के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया है।
प्रदर्शन तब उग्र हो गया जब प्रदर्शनकारियों ने प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसपैठ की। पुलिस ने पहले बैरिकेड्स लगाये थे, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें तोड़ दिया। कुछ प्रदर्शनकारी न्यू बनेश्वर स्थित संसद भवन परिसर में भी घुस गए। प्रशासन और छात्रों में मुठभेड़ के बाद यहां कर्फ्यू लगा दिया गया, जो सोमवार दोपहर 12:30 बजे से रात 10 बजे तक प्रभावी रहेगा। धीरे-धीरे कर्फ्यू का दायरा बढ़ाते हुए पूरे काठमांडू को सील कर दिया गया है।
नेपाल सरकार ने फेसबुक, यूट्यूब, एक्स (पूर्व में ट्विटर) समेत कई सोशल मीडिया साइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे जनता खासकर युवाओं में काफी गुस्सा है। यही वजह है कि वे अब सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे हैं और इस फैसले को गलत बता रहे हैं।
प्रदर्शन के दौरान पुलिस और जनता के बीच कई जगह झड़प हुई। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस छोड़ी ताकि स्थिति काबू में आ सके। इसके बावजूद भी प्रदर्शनकारियों का हुजूम कम नहीं हो रहा है। वे अपना विरोध तेज कर रहे हैं और सरकार से अपनी मांगें पूरी करने की अपील कर रहे हैं।
अभिनेता मदन कृष्ण श्रेष्ठ और हरि बंशा आचार्य ने फेसबुक पर सार्वजनिक रूप से अपना समर्थन व्यक्त किया है। आचार्य ने हाल ही में बनी एक सड़क के खराब होने की ओर ध्यान खींचा। उन्होंने लिखा, मैं रोज सोचता था कि यह सड़क इतनी जल्दी कैसे खराब हो सकती है। लेकिन, आज का युवा सिर्फ सोचने से ज्यादा करता है। वे सवाल पूछते हैं। यह क्यों टूट गई? कैसे? कौन जवाबदेह है? यह इस पीढ़ी द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों का एक उदाहरण मात्र है। आज हम जो आवाज सुन रहे हैं, वह व्यवस्था के खिलाफ नहीं, बल्कि इसके लिए जिम्मेदार नेताओं और अधिकारियों के कार्यों के खिलाफ हैं। श्रेष्ठ ने भी लिखा है कि विरोध की आवाजें दबाई गई हैं, भाई-भतीजावाद और पक्षपात व्याप्त है, और सत्ता की लालसा बेलगाम है। हर दिन, हजारों युवा विदेश में काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। भ्रष्टाचार चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है।
मां नेपाल भी रोती हुई प्रतीत होती है। गायक और अभिनेता प्रकाश सपूत, अभिनेता और निर्देशक निश्चल बसनेत, अभिनेत्री वर्षा राउत, अभिनेता अनमोल केसी, प्रदीप खड़का, भोलाराज सपकोटा, वर्षा शिवकोटी और गायिका एलिना चौहान, रचना रिमल और समीक्षा अधिकारी ने भी युवाओं के साथ एकजुटता व्यक्त की और आंदोलन में भाग लेने का आग्रह किया। अन्य कलाकार भी सार्वजनिक रूप से विरोध प्रदर्शनों का समर्थन कर रहे हैं।
नेपाल में संसद के भीतर घुसपैठ और हिंसा के बाद आम जनता, राजनीतिक विशेषज्ञों और युवा संगठनों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। काठमांडू विश्वविद्यालय के छात्र नेता सागर थापा ने कहा: “यह सिर्फ सोशल मीडिया बैन का विरोध नहीं है, यह युवाओं की आवाज़ दबाने की कोशिश का जवाब है।”
मानवाधिकार कार्यकर्ता माया श्रेष्ठ ने कहा:“शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर गोली चलाना लोकतंत्र का अपमान है।” सोशल मीडिया पर भी लोग लगातार सरकार के खिलाफ़ पोस्ट कर रहे हैं, हालांकि अधिकतर प्लेटफॉर्म पहले ही ब्लॉक कर दिए गए हैं।
नेपाल सरकार ने संकेत दिए हैं कि वो सोशल मीडिया बैन के फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है, लेकिन कोई आधिकारिक घोषणा अब तक नहीं की गई है।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने नेपाल सरकार से "संतुलित और लोकतांत्रिक प्रतिक्रिया" देने की अपील की है। विपक्षी दल जल्द ही विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, हालात काबू में आने तक कर्फ्यू जारी रहेगा और सेना की तैनाती बनी रहेगी।
नेपाल में यह उग्र प्रदर्शन केवल सोशल मीडिया बैन की वजह से नहीं है। इसके पीछे भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और सरकार की तानाशाही शैली के खिलाफ जमा हो रहा गुस्सा भी है।
प्रदर्शन में ज़्यादातर जनरल Z (16-25 वर्ष की उम्र) के युवा शामिल हैं, जो डिजिटल स्वतंत्रता के पक्षधर हैं।
नेपाली मीडिया के एक समूह ने बताया कि संसद में घुसने वाले प्रदर्शनकारियों के पास कोई हथियार नहीं थे, लेकिन सरकार ने उन्हें “देशद्रोही” बताया।
बहरहाल अब सवाल ये है कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालेगी। क्या कर्फ्यू और सेना की तैनाती से शांति वापस आएगी या प्रदर्शन और भी तेज़ होंगे? साथ ही, लोग सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर क्या कदम उठाएंगे, यह भी देखने वाली बात होगी।