अमेरिकी सहायता बंद होने से नेपाल को बड़ा झटका लगा है। ऐसे में इससे उबरने के लिए नेपाल को भारत के सहारे की ज़रूरत पड़ सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने दूसरी बार अमेरिका (United States Of America) के राष्ट्रपति बनते ही एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के इन फैसलों में USAID के तहत दूसरे देशों को दी जाने वाली सभी अमेरिकी आर्थिक सहायता पर 90 दिनों की रोक लगाना भी शामिल है। सिर्फ इज़रायल और मिस्त्र को ही आर्थिक सहायता दी जा रही है। USAID के बंद होने से नेपाल (Nepal) को भी बड़ा झटका लगा है।
नेपाल ऐसे देशों में से एक है, जो अमेरिकी आर्थिक सहायता पर निर्भर था। हालांकि अब अमेरिका ने नेपाल को दी जाने वाली सभी आर्थिक सहायता ओर रोक लगा दी है।
अमेरिकी आर्थिक सहायता बंद होने से नेपाल की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। नेपाल की अर्थव्यवस्था अमेरिकी आर्थिक सहायता के बंद होने से चरमरा गई है। ऐसे में देश पर कर्ज़ का बोझ भी बढ़ गया है और यह बढ़ता ही जा रहा है।
अमेरिकी आर्थिक सहायता बंद होने से नेपाल में जिन दो सेक्टर्स पर सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा, वो हैं शिक्षा और स्वास्थ्य। USAID के बंद होने से नेपाल में अरबों रुपये की शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधित सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
USAID की फंडिंग की वजह से नेपाल में कई लोगों की नौकरियाँ चल रही थीं। अब अमेरिकी आर्थिक सहायता बंद होने से नेपाल में बेरोजगारी बढ़ सकती है, जिससे देश में व्यवस्था और खराब हो सकती है।
नेपाल को अब अमेरिका से मदद मिलना बंद हो गया है। ऐसे में नेपाल को अब अपने पड़ोसी देश भारत (India) के सहारे की ज़रूरत पड़ सकती है। नेपाल में अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए आने वाले समय में नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) , भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से बात कर सकते हैं। इससे भारत का नेपाल को एक्सपोर्ट बढ़ सकता है।
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