विदेश

भारत ही नहीं, दुनियाभर में चल रही है अपनी फसलों को बचाने की जंग

फसलों को बचाकर रखना भारत ही नहीं, हर देश में काफी अहम होता है। ऐसे में दुनियाभर में अपनी फसलों को बचाने के प्रयास जारी हैं, जो किसी जंग से कम नहीं है।

2 min read
Apr 16, 2025
Crops

भारत पर जेनेटिकली मोडिफायड (जीएम) बीजों के उपयोग से नई तरह की फसल उगाने का अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है। जीएम कॉटन के बाद अब जीएम सरसों की खेती शुरू करने के मुद्दे पर देश के वैज्ञानिक बंटे हुए दिख रहे हैं। जीएम सरसों कितना फायदेमंद या नुकसानदायक है, इसके परीक्षण की पर्यावरणीय अनुमति देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। जीएम बीज बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरफदारी करने वाले विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) दुनिया के पिछड़े और विकासील देशों को खाद्यान्न सुरक्षा के नाम पर जीएम फसल उगाने का दबाव बना रहा है, जिसका दीर्घकालिक दुष्प्रभाव हो सकता है।

दुनिया के सजग देशों का क्या है रवैया?

यह जानना भी ज़रूरी है कि दुनिया के सजग देशों ने इस विषय पर क्या रवैया अपनाया है। कई देशों ने अपनी जैव विविधता की रक्षा और पारंपरिक कृषि प्रणालियों को बचाने के लिए बाहरी बीजों, विशेष रूप जीएम बीजों पर प्रतिबंध या नियंत्रण लागू किया है।

सतर्क देशों ने लगाए कड़े प्रतिबंध

◙ इक्वाडोर ने 2008 में कानून बनाकर देश को जीएम फसलों और बीजों से मुक्त घोषित कर दिया है।
◙ पेरू ने 2011 में जीएम फसलों पर 10 साल का रोक लगाई, जिसे 2021 में और 15 साल के लिए बढ़ा दिया गया।
◙ वेनेज़ुएला में 2015 में जीएम फसलों और बीजों की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
◙ मैक्सिको ने जीएम बीजों पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है। इस पर अभी भी बहस चल रही है।
◙ अफ्रीकी देश (केन्या, घाना, मलावी, दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे) ने भी इस विषय में कड़े नियम बनाए हैं।



अन्य देशों में भी जंग जारी

ऊपर दिए गए देशों के अलावा अन्य देशों में भी फसलों को बचाने की जंग जारी है। अलग-अलग देशों में जीएम बीजों और फसलों के लिए अलग-अलग नीतियाँ हैं, लेकिन ज़्यादातर देशों में इसके लिए सख्त नियम हैं।

Also Read
View All

अगली खबर