Pakistan Army Chief General Asim Munir:पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने हाल ही में इस्लामाबाद में आयोजित ओवरसीज पाकिस्तानियों के पहले वार्षिक सम्मेलन में अपने बयान से ध्यान आकर्षित किया है।
Pakistan Army Chief General Asim Munir: पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ( Asim Munir) ने विवादास्पद बयान (Controversial Statement) में कहा है "हम हिंदुओं से अलग हैं और कलमे की बुनियाद पर पाकिस्तान बना है।" उन्होंने अपने भाषण के दौरान भारत, हिन्दू धर्म, और टू नेशन थ्योरी (Two nation Theory) पर विचार व्यक्त किए, जो विवादास्पद और विभाजनकारी माने जा रहे हैं। जनरल मुनीर ने कहा, "हम जीवन के सभी पहलुओं में हिन्दुओं से अलग हैं," जो पाकिस्तान ( Pakistan) की नींव में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित करता है। यह बयान पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना (Mohammad Ali Jinnah) के दो-राष्ट्र सिद्धांत की अनुगूंज प्रतीत होता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि "दुनिया में केवल दो राज्य हैं, जो अल्लाह के कलमे की बुनियाद पर स्थापित किए गए हैं: मदीना और पाकिस्तान।"
जनरल मुनीर ने अपने भाषण के दौरान कश्मीर को पाकिस्तान की आत्मा माना और इज़राइल की कार्रवाई की आलोचना करते हुए फिलिस्तीनियों के प्रति समर्थन व्यक्त किया। सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति ने इस चर्चा को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। बहरहाल इन विवादास्पद बयानों से पाकिस्तान के आर्मी प्रमुख की छवि एक कट्टर धार्मिक प्रचारक के रूप में सामने आई है।
जनरल आसिम मुनीर के हालिया बयान ने पाकिस्तान के राजनीतिक, सामाजिक और सैन्य परिप्रेक्ष्य में कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान का अस्तित्व धर्म के आधार पर है और यह उस पहचान का प्रतीक है, जो 1947 में ब्रिटिश राज से अलग होने के बाद स्थापित हुई थी। इस बयान ने न केवल उनके देश में, बल्कि भारत में भी प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है।
भारत में कई राजनीतिक दलों ने इस बयान की निंदा की है और इसे पाकिस्तान के अंदर की अस्थिरता का संकेत बताया है। उनके अनुसार, यह बयान पाकिस्तान के भीतर धार्मिक कट्टरता और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की एक कोशिश है।
पाकिस्तान में इस बयान पर कई प्रकार की चर्चाएं और बहसें हो रही हैं। कुछ लोग इसे सेना की राजनीति में बढ़ते प्रभाव के तौर पर देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे देश की धार्मिक पहचान के प्रति एक तरह का आग्रह मानते हैं। पाकिस्तान की आम जनता में भी इस बयान को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखी जा रही हैं। कुछ लोग इसे सही मानते हैं, जबकि अन्य इस विचार के खिलाफ हैं और इसे देश के विकास और धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा मानते हैं।