पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने परमाणु हथिायर को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिससे अमेरिका और इजरायल के होश उड़ जाएंगे। जानिए क्या कहा ख्वाजा आसिफ ने...
Pakistan Saudi Arabia Defence Agreement: पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ (Pakistan's Defence Minister Khawaja Asif) ने अमेरिका (America) और इजरायल (Israel) के होश उड़ा देने वाले बयान दिए हैं। आसिफ ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह सऊदी अरब को परमाणु कार्यक्रम उपलब्ध करा सकता है। जानकारों का कहना है कि कतर पर हमले के बाद पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का यह बयान इजरायल को संदेश है। इस्लामाबाद ने साफतौर पर माना है कि उसने अपने परमाणु हथियारों की छतरी सऊदी अरब तक फैला दी है। पाकिस्तानी मंत्री का यह बयान अमेरिका और इजरायल के होश उड़ा सकता है।
पाकिस्तानी मीडिया ने सऊदी-पाक रक्षा समझौते पर आसिफ से पूछा कि क्या पाकिस्तान को परमाणु हथियारों से मिलने वाली ताकत और डराने वाली क्षमता सऊदी अरब को भी मिलेगी? इस पर आसिफ ने कहा कि जो हमारे पास है और जो क्षमताएं हमने बनाई हैं, उन्हें (सऊदी अरब) को इस समझौते के तहत उपलब्ध कराया जाएगा। बताया जाता है कि पाकिस्तान जब अपना परमाणु कार्यक्रम बना रहा था, तब साऊदी अरब ने जमकर फंडिंग की थी।
इजरायल मीडिल ईस्ट में लंबे समय से इकलौता परमाणु संपंन्न देश माना जाता है। जब बीते हफ्ते इजरायल ने कतर में हमास के ठिकाने पर निशाना बनाया तब खाड़ी के अरब देशों में अपनी सुरक्षा को लेकर नई चिंताएं बढ़ गई। इस दौरान इस्लामिक देशों के समूह ने इस्लामिक नाटो बनाने की बात कही। जिसका प्रस्ताव पाकिस्तान ने रखा था।
कतर पर इजरायली हमले के बाद पाकिस्तान ने मुस्लिम देशों के संगठनों की बैठक में इस्लामिक नाटो बनाने की सलाह दी थी। पाकिस्तान इकलौता परमाणु शक्ति संपंन्न मुस्लिम राष्ट्र है। वह मुस्लिम उम्मा में अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए हमेशा से संयुक्त इस्लामिक आर्मी की बात करता आया है। सैन्य संपंन्नता के मामले में OIC सिर्फ तुर्की ही उसके नजदीक बैठता है, अन्य राष्ट्र अमेरिकी सहयोग पर निर्भर हैं। खासकर खाड़ी के देश, साउदी अरब, कतर, ओमान, बहरीन, यूएई।
पाकिस्तान के लिए यह समझौता क्या नासूर बनेगा। यह सवाल भी उठने लगा है, क्योंकि इस समझौते के तहत सऊदी अरब पाकिस्तानी सेना को यमन में किराए के सैनिक के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। दरअसल, साऊदी अरब सालों से यमन में विद्रोही गुट हूतियों को हटाने में जुटा है, लेकिन हर बार नाकाम रहा है। हूतियों ने कई बार साउदी के रणनीतिक ठिकानों पर बमबारी भी की है। ऐसे में यदि ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने साऊदी पर फिर से हमला किया तो पाकिस्तान को नए समझौते के तहत मजबूरन अपनी सेना को यमन में उतारनी पड़ेगी।