‘सिक्स्थ सेंस’ के बाद वैज्ञानिकों ने अब ‘सेवंथ सेन्स’ ढूंढने का दावा किया है। क्या है पूरा मामला? आइए जानते हैं।
देखने, सुनने, सूंघने, चखने और छूने के पांच इंद्रिय अनुभवों को सब जानते हैे। ‘सिक्स्थ सेंस’ यानी छठी इंद्रिय की भी अक्सर ही चर्चा होती है, जिसे 'अंतर्ज्ञान' जैसी समझ माना जाता है। अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इंसानों में ‘सेवंथ सेंस’ यानी 'सातवीं इंद्रिय' भी मौजूद है। क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन की मनोविज्ञान विशेषज्ञ डॉ. एलिजाबेथ वर्साचे के नेतृत्व में हुई रिसर्च में यह साबित हुआ है कि इंसान 'रिमोट टच’ यानी 'दूर से स्पर्श महसूस करने' की क्षमता रखते हैं। यह वही संवेदना है जिसका उपयोग समुद्री पक्षी रेत में अपने शिकार को ढूंढने के लिए करते हैं। वो रेत को चोंच से टटोलते हैं और दबाव और कंपन के सूक्ष्म संकेतों से भीतर छिपे शिकार का पता लगा लेते हैं।
रिसर्च के अनुसार यह खोज कई क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हो सकती है। आर्कियोलॉजिकल खुदाई में बिना नुकसान के वस्तुओं की पहचान, मंगल या समुद्र की सतह की खोज या ऐसी जगहों पर कार्य जहाँ सीधा स्पर्श या दृश्य संभव नहीं रिमोट टच वहां उपयोगी साबित होगा।' रोबोट के साथ भी यह प्रयोग दिखाता है कि कैसे मनोविज्ञान, रोबोटिक्स और एआई मिलकर इंसानी संवेदनाओं को तकनीक में रूपांतरित कर सकते हैं।
प्रयोग में प्रतिभागियों को उंगलियों के सहारे रेत में छिपी वस्तुओं को पहचानना था और उन्होंने यह काम हर 'तीन में से दो बार' कर दिखाया। प्रतिभागियों ने 6.9 सेंटीमीटर की दूरी पर 70.7% सटीकता से वस्तुओं का पता लगाया। यानी कि बिना देखे, बिना सीधे छुए, सिर्फ रेत के दबाव में आए सूक्ष्म बदलाव से।
वैज्ञानिकों ने इस क्षमता को रोबोट पर भी आज़माया। इसके लिए एक टैक्टाइल सेंसर को 'लॉन्ग शॉर्ट-टर्म मेमोरी एल्गोरिद्म से प्रशिक्षित किया गया। रोबोट ने इंसानों जितनी सटीकता नहीं दिखाई, लेकिन उसने वस्तुओं को 7.1 सेंटीमीटर दूरी तक महसूस किया, जो मानव की सीमा से ज़्यादा थी।