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AI पर निर्भरता से सोचने-समझने की क्षमता कम होने का बढ़ रहा जोखिम

Dependence On AI: दुनियाभर में एआई तेज़ी से विकसित हो रहा है। हालांकि इस वजह से लोगों की एआई पर निर्भरता भी बढ़ी है, जो सही नहीं है। एआई पर बढ़ती निर्भरता से क्या है जोखिम? आइए जानते हैं।

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Feb 13, 2025
AI

टेक्नोलॉजी (Technology) का विकास दुनियाभर में काफी तेज़ी से हो रहा है। विकसित हो रही टेक्नोलॉजी के साथ कई चीज़ें एडवांस हो रही हैं, जिनमें एआई – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI – Artificial Intelligence) भी शामिल है। दुनियाभर में एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है और इसके यूज़र्स भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं। हालांकि एआई के इस्तेमाल और यूज़र्स की संख्या में इजाफे के साथ इस पर निर्भरता भी बढ़ रही है, जो सही नहीं है। माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) की नई रिपोर्ट एआई के चिंताजनक पहलुओं पर भी ध्यान दिलाती है।

सोचने की प्रवृति में गिरावट

शोधकर्ताओं के मुताबिक कार्यस्थलों पर एआई टेक्नोलॉजी पर बढ़ती निर्भरता संज्ञानात्मक क्षमताओं और सोचने-समझने की गंभीर प्रवृति में गिरावट का कारण बन सकती है। ‘द इंपेक्ट ऑफ जनरेटिव एआई ऑन क्रिटिकल थिंकिंग’ नाम रिपोर्ट में जनरेशन एआई के इस्तेमाल से सोचने की क्षमता पर असर को लेकर अध्ययन किया गया है। शोधकर्ताओं ने 319 नॉलेज वर्कर और 936 ऐसे मामलों की पड़ताल की। ये रिपोर्ट आत्मविश्वास के स्तर और आलोचनात्मक सोच के बीच संबंधों को रेखांकित करती है। इसमें एआई पर ज्यादा भरोसे की वजह आलोचनात्मक सोच के प्रयासों में कमी को बताया गया।

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शोध का निष्कर्ष

जनरेटिव एआई उपकरण उत्पादकता को बढ़ाते हैं, लेकिन जुड़ाव को कम करते हैं। इसी तरह कम जोखिम वाली स्थिति में कर्मचारी मामूली संशोधनों के साथ ईमेल और सोशल मीडिया पोस्ट तैयार करने के लिए एआई का इस्तेमाल करते हैं। इसमें ज्यादा निर्भरता का जोखिम होता है और अपने कौशल का इस्तेमाल कम कर देते हैं। रिपोर्ट में यह निष्कर्ष प्रमुखता से बताया गया है कि एआई पर निर्भरता संज्ञानात्मक कौशल के गिरावट का कारण बन सकती है।

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