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Citizenship: लाखों मुसलमानों पर लटकी देश निकाले की तलवार! कश्मीर की शबाना के ‘प्लान’ ने दुनिया को हिलाया

UK Citizenship Law Controversy: ब्रिटेन के 90 लाख मुसलमानों और प्रवासियों की नागरिकता पर तलवार लटक गई है, क्योंकि सरकार अब बिना नोटिस दिए उनकी नागरिकता रद्द कर सकती है।

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भारत

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MI Zahir

Dec 15, 2025

UK Citizenship Law Controversy

क्या इन हॅंसते-मुस्कुराते मुसलमानों को देश निकाला मिलेगा। (फोटो: AI Generated)

UK Citizenship Law Controversy: सोशल मीडिया पर छाई एक खबर ने कोहराम मचा रखा है। दावा किया जा रहा है कि ब्रिटेन (UK) में रहने वाले लाखों मुसलमानों की नागरिकता खतरे में है। जिस तरह की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं, उसने न सिर्फ ब्रिटेन में बसे प्रवासियों की नींद उड़ा दी है, बल्कि कई मुस्लिम देशों में भी खलबली मचा दी है। वायरल हो रहे दावों और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रिटेन में एक ऐसा कानून या प्रावधान चर्चा में है, जो सरकार को यह ताकत देता है कि वह लाखों लोगों की नागरिकता (Citizenship) बिना किसी पूर्व सूचना के छीन सकती है। सबसे हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले के केंद्र में जो नाम सामने आ रहा है, वह किसी अंग्रेज का नहीं, बल्कि कश्मीरी मूल की ब्रिटिश मंत्री शबाना महमूद का है।

आखिर क्या है यह पूरा माजरा ?

कौन हैं शबाना महमूद और क्यों 90 लाख लोगों, खासकर मुसलमानों को देश से निकाले जाने का डर सता रहा है? आइए समझते हैं।

क्या है 90 लाख मुसलमानों वाला मामला ?

दरअसल, यह पूरा मामला ब्रिटेन के नागरिकता कानूनों से जुड़ा हुआ है। हालिया मीडिया रिपोर्ट्स और प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के आंकड़ों ने एक डरावनी तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में लगभग 60 लाख से 90 लाख (6 to 9 Million) ऐसे लोग हैं, जिनसे उनकी ब्रिटिश नागरिकता कभी भी छीनी जा सकती है।

इनकी नागरिकता रद्द हो सकती है

कानूनी पेच यह है कि जिन लोगों के पास दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship) है या जिनके पास किसी और देश की नागरिकता लेने का अधिकार है (जैसे पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, या भारतीय मूल के लोग), ब्रिटिश सरकार 'जनहित' (Public Good) का हवाला देकर उनकी ब्रिटिश नागरिकता रद्द कर सकती है। चूंकि ब्रिटेन में रहने वाले अधिकतर मुस्लिम और एशियाई मूल के लोग इसी श्रेणी में आते हैं, इसलिए कहा जा रहा है कि यह "मुसलमानों को निकालने" जैसा ही है।

कौन हैं शबाना महमूद? (Who is Shabana Mahmood)

अब बात करते हैं उस चेहरे की, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा गुस्सा है। शबाना महमूद ब्रिटेन की लॉर्ड चांसलर और न्याय सचिव (Justice Secretary) हैं।

कश्मीरी कनेक्शन: शबाना महमूद का जन्म बर्मिंघम में हुआ था, लेकिन उनकी जड़ें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के मीरपुर से जुड़ी हैं। वह ब्रिटेन की पहली महिला मुस्लिम लॉर्ड चांसलर बनी हैं।

आखिर वह क्यों हैं निशाने पर ?

शबाना महमूद न्याय मंत्रालय की प्रमुख हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दावा किया जा रहा है कि एक मुस्लिम होते हुए भी वह उस सिस्टम का बचाव कर रही हैं या उस सरकार का हिस्सा हैं, जो मुसलमानों और प्रवासियों की नागरिकता छीनने की ताकत रखता है।

आरोप: आलोचकों का कहना है कि शबाना महमूद फिलिस्तीन और गाजा के मुद्दे पर भी वैसी मुखर नहीं रहीं, जैसी उम्मीद थी। अब नागरिकता वाले मुद्दे पर भी उनकी चुप्पी या सरकार का साथ देना समुदाय को रास नहीं आ रहा है।

एक झटके में कैसे छिन सकती है छत ?

ब्रिटेन में 'नेशनलिटी एंड बॉर्डर्स एक्ट' (Nationality and Borders Act) के तहत सरकार को बहुत ज्यादा ताकत मिली हुई है। इसका सबसे खतरनाक पहलू 'क्लॉज 9' (Clause 9) है।

यह बिना नोटिस कार्रवाई करने जैसा है

यूके में पहले अगर किसी की नागरिकता छीनी जाती थी, तो उसे नोटिस देना होता था। लेकिन अब सरकार को अधिकार है कि वह बिना बताए किसी की नागरिकता खत्म कर सकती है।

अब किसे है खतरा, कौन है टारगेट

इसका सबसे ज्यादा असर उन मुसलमानों पर पड़ेगा जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, नाइजीरिया या अन्य देशों से आकर ब्रिटेन में रह रहे हैं। अगर ब्रिटेन ने उनकी नागरिकता छीनी, तो वे अपने आप अपने मूल देश के नागरिक माने जाएंगे, चाहे वे ब्रिटेन में ही पैदा क्यों न हुए हों।

क्या सच में देश निकाला होगा ?

हकीकत यह है कि अभी किसी को रातों-रात बसों में भर कर निकाला नहीं जा रहा है। लेकिन 'कानूनी खतरा' बहुत बड़ा है। यह कानून सरकार को एक हथियार देता है। अगर कल को कोई व्यक्ति विरोध प्रदर्शन करता है या सरकार की नजर में 'खतरा' बनता है, तो उसकी नागरिकता रद्द करके उसे देश से बाहर (Deport) किया जा सकता है।

शबाना के अपने ही समुदाय पर लटक रही तलवार

यही वजह है कि लंदन की सड़कों से लेकर इंटरनेट तक डर का माहौल है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या शबाना महमूद, जो खुद एक प्रवासी परिवार से आती हैं, अपने ही समुदाय के सिर पर लटक रही इस तलवार को हटा पाएंगी, या फिर वे उस सिस्टम का हिस्सा बन कर रह जाएंगी जिसने लाखों लोगों को 'दोयम दर्जे' का नागरिक बना दिया है।

यूके की सख्त नागरिकता नीतियों का नतीजा

बहरहाल, यह खबर पूरी तरह से ब्रिटेन की सख्त होती इमिग्रेशन और नागरिकता नीतियों का नतीजा है। 90 लाख का आंकड़ा उन लोगों का है जो इस कानून की जद में आते हैं। फिलहाल यह एक कानूनी तलवार है, जो कभी भी किसी पर भी गिर सकती है।