
दुनिया में गन से हो रहे हैं अपराध।( सांकेतिक फोटो: AI , डिजाइन: पत्रिका)
Highest Civilian Gun Ownership : बंदूक… एक ऐसा हथियार है, जो सुरक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन आज यह दुनिया के कई देशों में दहशत का दूसरा नाम बन चुका है। भारत में जहां एक आम नागरिक के लिए बंदूक का लाइसेंस बनवाना लोहे के चने चबाने जैसा है, वहीं दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं, जहां राशन की दुकान से सामान खरीदने की तरह बंदूकें खरीदी जा सकती हैं। 'स्मॉल आर्म्स सर्वे' (Small Arms Survey) के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में एक अरब से ज्यादा फायर आर्म्स हैं, और इनमें से 85% सेना के पास नहीं, बल्कि आम नागरिकों के हाथों में हैं। आज हम आपको उन 5 देशों के बारे में बताएंगे जहां 'गन कल्चर' (Global Gun Violence Statistics) चरम पर है, और उन 5 काली तारीखों के बारे में, जब इन बंदूकों ने मासूमों के खून से होली (Worst Mass Shootings in History) खेली।
अगर आपको लगता है कि सिर्फ अमेरिका में ही लोग बंदूक रखते हैं, तो आप गलत हैं। हालांकि, अमेरिका नंबर वन है, लेकिन और भी कई देश इस लिस्ट में हैं।
अमेरिका (USA): यह दुनिया का इकलौता देश है जहां इंसानों से ज्यादा बंदूकें हैं। यहां प्रति 100 लोगों पर 120 से ज्यादा हथियार हैं।
यमन (Yemen): गृहयुद्ध से जूझ रहे यमन में हर दूसरे या तीसरे व्यक्ति के पास बंदूक है।
सर्बिया और मोंटेनेग्रो (Serbia & Montenegro): बाल्कन युद्ध के बाद यहां घर-घर में अवैध और वैध हथियार रह गए।
कनाडा और उरुग्वे: यहां भी नागरिकों के पास बड़ी संख्या में हथियार हैं, लेकिन वहां कानून सख्त हैं।
मैक्सिको: यहां कानून सख्त हैं, लेकिन अमेरिका से तस्करी होकर आने वाले हथियारों ने इसे अपराधियों का गढ़ बना दिया है।
इतिहास गवाह है कि जब-जब गलत हाथों में बंदूकें आईं, तब-तब कत्लेआम हुआ। ये हैं वो 5 घटनाएं जिन्होंने दुनिया को रोने पर मजबूर कर दिया:
यह आधुनिक अमेरिकी इतिहास की सबसे भयानक गोलीबारी थी। यह 1 अक्टूबर 2017 की रात थी, जब 64 साल के स्टीफन पैडॉक ने लास वेगास के मांडले बे होटल की 32वीं मंजिल की खिड़की तोड़ी और नीचे म्यूजिक फेस्टिवल में नाच रहे 22,000 लोगों पर गोलियों की बारिश कर दी।
हथियार: उसके कमरे से 23 राइफलें मिली थीं।
नतीजा: 10 मिनट में 60 लोग मारे गए और 400 से ज्यादा लोग गोलियों से छलनी हो गए।
अमनपसंद देश नॉर्वे के लिए 22 जुलाई 2011 का दिन काला अध्याय बन गया। एंडर्स ब्रेविक नाम के एक दक्षिणपंथी कट्टरपंथी ने पहले ओस्लो शहर में बम धमाका किया। इसके बाद वह पुलिस की वर्दी पहनकर उटोया (Utøya) द्वीप पर चल रहे यूथ कैंप में पहुंचा।
क्रूरता: उसने वहां मौजूद बच्चों और किशोरों को इकट्ठा किया और फिर चुन-चुनकर उन्हें मार डाला।
नतीजा: इस हमले में 77 लोगों की मौत हुई। यह एक अकेले व्यक्ति द्वारा किया गया सबसे बड़ा नरसंहार था।
न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में 15 मार्च 2019 को इंसानियत शर्मसार हो गई, जब 28 साल के ब्रेंटन टैरेंट ने जुमे की नमाज के दौरान दो मस्जिदों (अल-नूर और लिनवुड) पर गन से हमला किया।
टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग: हद तो तब हो गई जब हत्यारे ने सिर पर कैमरा लगाकर इस कत्लेआम को फेसबुक पर लाइव दिखाया।
नतीजा: 51 नमाजियों की मौत हो गई। इसके तुरंत बाद न्यूजीलैंड ने अपने गन लॉ बदल दिए।
मैक्सिको में ड्रग कार्टेल का आतंक कैसा होता है, यह 25 अगस्त 2011 को दुनिया ने देखा। मॉन्टेरी शहर के 'कैसीनो रॉयल' में लॉस जेटास कार्टेल के बंदूकधारी घुसे और कत्लेआम मचाया।
वजह: कैसीनो मालिक ने उन्हें हफ्ता (प्रोटेक्शन मनी) देने से मना कर दिया था।
नतीजा: आतंकियों ने गेट बंद कर फायरिंग की और फिर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। इसमें 52 लोग जिंदा जलकर या गोली लगने से मर गए।
ऑस्ट्रेलिया आज सख्त गन कानूनों के लिए जाना जाता है, लेकिन इसकी वजह यह घटना थी। मार्टिन ब्रायंट नामक व्यक्ति ने 28 अप्रैल 1996 को तस्मानिया के पोर्ट आर्थर में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं।
नतीजा: इस हमले में 35 लोग मारे गए और 23 घायल हुए।
बदलाव: इस घटना के ठीक बाद ऑस्ट्रेलिया ने नागरिकों से बंदूकें वापस खरीदने का अभियान चलाया और सख्त कानून लागू किए, जिसके बाद वहां ऐसी घटनाएं लगभग खत्म हो गईं।
बहरहाल,भारत में आम नागरिकों के पास बंदूकें न के बराबर हैं, जिसका श्रेय हमारे सख्त 'आर्म्स एक्ट 1959' को जाता है। अमेरिका और मैक्सिको के हालात बताते हैं कि जब हथियार खिलौनों की तरह बिकने लगते हैं, तो समाज को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। शुक्र मनाइए कि अहिंसा के देश भारत में हर आदमी के पास गन नहीं है और दूसरे देशों के मुकाबले हमारा मुल्क शांत देश है।
Updated on:
15 Dec 2025 07:07 pm
Published on:
15 Dec 2025 06:24 pm
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