
सिडनी के बॉन्डी बीच पर हुए हमले के समय आतंकियों से लोगों की जान बचाने वाला अहमद अल-अहमद। फोटो: X Handle/ Habeeb Akande
Ahmed Al-Ahmed Bondi Beach Hero: अक्सर हम फिल्मों में देखते हैं कि हीरो आता है, गुंडों से लड़ता है और सबकी जान बचा लेता है। लेकिन रविवार को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी (Hanukkah Festival Shooting Sydney) में जो हुआ, वह किसी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि हकीकत थी। बॉन्डी बीच (Bondi Beach Terror Attack) पर गोलियों की आवाज से दहशत फैल गई थी, लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। लेकिन इसी भगदड़ के बीच बुलंद हौसले के साथ एक शख्स ऐसा भी था, जो भागा नहीं, बल्कि मौत के सामने सीना तानकर खड़ा हो गया। दरअसल, 44 साल के अहमद अल-अहमद (Ahmed Al-Ahmed Sydney Hero) ने अपनी जान की परवाह किए बिना वह कर दिखाया, जिसे पूरी दुनिया अब सलाम कर रही है। एक निहत्थे इंसान ने राइफल से लैस आतंकी को ना सिर्फ दबोचा, बल्कि उससे हथियार छीन कर कई बेगुनाहों की जान बचा ली।
'मर जाऊं तो घर पर बता देना…' यह घटना उस वक्त हुई जब बॉन्डी बीच पर यहूदी समुदाय के लोग 'हनुक्का फेस्टिवल' मना रहे थे। अहमद अपने चचेरे भाई जोजाय अलकंज के साथ वहां कॉफी पीने गए थे। अचानक गोलियां चलने लगीं। यह मंजर बहुत खौफनाक था। अहमद और जोजाय अपनी जान बचाने के लिए कारों के पीछे छिप गए।
जोजाय डर से कांप रहे थे, लेकिन अहमद की आंखों में डर की जगह हौसले का एक अलग ही जुनून था। अहमद ने फैसला कर लिया था कि वे चुपचाप नहीं बैठेंगे। जब वे हमलावर की तरफ बढ़ने लगे, तो भाई ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की। इस पर अहमद ने जो आखिरी शब्द कहे, वो किसी का भी दिल पसीज देने के लिए काफी हैं। उन्होंने भाई से कहा, "अगर मुझे कुछ हो जाए, तो मेरे परिवार को बताना कि मैं लोगों की जान बचाते हुए मर गया।"
फलों की दुकान के मालिक अहमद के पास कोई हथियार नहीं था, हाथ बिल्कुल खाली थे, लेकिन हौसला फौलादी था। वे कारों की आड़ लेकर धीरे-धीरे आगे बढ़े। जैसे ही उन्हें मौका मिला, उन्होंने 50 साल के हमलावर साजिद अकरम पर पीछे से चीते की तरह झपट्टा मारा। अहमद ने पूरी ताकत लगाकर आतंकी को धक्का दिया और उसके हाथ से राइफल छीन ली।
बंदूक हाथ में आते ही उन्होंने आतंकी पर तान दी। हथियार छिनते ही हमलावर डर गया और पीछे हटने लगा। अहमद की इस दिलेरी की वजह से वहां मौजूद कई लोगों को भागने और सुरक्षित जगह पहुंचने का मौका मिल गया।
अहमद को दो गोलियां लग गई थीं, मगर उसके बावजूद वह नहीं डरा। उसने आतंकी से छीनी हुई राइफल एक पेड़ के पास रख दी थी, लेकिन खतरा अभी टला नहीं था। तभी दूसरे हमलावर (साजिद के बेटे नवीद अकरम) ने अहमद पर हमला कर दिया। इस दौरान अहमद के कंधे में दो गोलियां लगीं और वे बेहोश होकर गिर पड़े।
अहमद के भाई मुस्तफा ने बाद में बताया कि अहमद को बंदूक चलानी नहीं आती थी, इसलिए उन्होंने गोली नहीं चलाई। वे सिर्फ हमलावर को डराना चाहते थे, ताकि कत्लेआम रुक सके। अस्पताल में होश आने पर अहमद ने कहा, "मुझे नहीं पता उस वक्त क्या हुआ, शायद ऊपरवाले ने मुझे कोई ऐसी ताकत दी थी जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं की। मुझे बस लोगों को बचाना था।"
अहमद की कहानी भी संघर्षों से भरी हुई है। वे मूल रूप से मुस्लिम हैं और 2006 में सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध (Civil War) से जान बचाकर शरणार्थी के तौर पर ऑस्ट्रेलिया आए थे। सिडनी में उनकी एक छोटी सी तंबाकू की दुकान है। जिस देश में वे शरणार्थी बनकर आए थे, आज उसी देश के लोग उन्हें सिर-आंखों पर बिठा रहे हैं।
कुछ साल पहले नागरिकता को लेकर उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, लेकिन आज उनकी बहादुरी को देखते हुए उनके वकील ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि अहमद के बुजुर्ग माता-पिता को भी अब सम्मान के तौर पर ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता दी जाए।
अहमद की बहादुरी की गूंज अमेरिका तक सुनाई दे रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "ऑस्ट्रेलिया में एक बहादुर व्यक्ति ने सीधे आतंकी पर हमला किया। मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है।" वहीं, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीज ने अहमद को 'हीरो' बताया। आम जनता ने भी उनकी दिल खोलकर मदद की है। अहमद के इलाज और उनके परिवार की मदद के लिए ऑनलाइन फंडिंग के जरिए करीब 3.43 करोड़ रुपये ($570,000) जुटाए गए हैं। इसमें अमेरिकी अरबपति बिल एकमैन ने भी बड़ा दान दिया है।
जांच में यह तथ्य सामने आया है कि हमलावर साजिद अकरम 1998 में छात्र वीजा पर पाकिस्तान से ऑस्ट्रेलिया आया था। हालांकि, उसके पास पूर्ण नागरिकता नहीं थी। वहीं, उसका बेटा नवीद, जिसने अहमद को गोली मारी, वह ऑस्ट्रेलिया में ही पैदा हुआ था।
फिलहाल, अहमद अस्पताल में हैं और उनकी सर्जरी सफल रही है। एक पिता, एक शरणार्थी और अब एक रक्षक—अहमद ने साबित कर दिया कि हीरो बनने के लिए वर्दी की नहीं, जिगर की जरूरत होती है।
Updated on:
15 Dec 2025 05:22 pm
Published on:
15 Dec 2025 04:41 pm
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