Israel: इस मुस्लिम देश ने इस डील को तोड़ने की वजह इजरायल को बताया है। देश का कहना है कि जब तक गाज़ा में फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल का युद्ध चलता रहेगा, वो डील नहीं करेगा।
Israel: गाज़ा में हमास के साथ इजरायल का युद्ध अब दूसरे देशों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। फिलिस्तीनियों पर इजरायल के युद्ध को लेकर मुस्लिम देश इजरायल से रूठे हुए हैं। इसी को लेकर एक मुस्लिम देश (Muslim Country) ने अमेरिका के साथ एक बड़ी डील रद्द कर दी है। ये डील रक्षा को लेकर थी। ये देश है सऊदी अरब (Saudi Arabia), जी हां सऊदी अरब ने अमेरिका के साथ होने वाले बहुप्रतीक्षित रक्षा सौदे को रद्द कर दिया है। इससे अमेरिका (USA) को तो झटका लगा ही है इसकी वजह से इजरायल को भी सऊदी अरब से जिस सहयोग की आस थी वो भी टूटती नजर आ रही है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सऊदी अरब के दो अधिकारियों और पश्चिमी देश के 4 अधिकारियों का हवाला देते हुए खबर प्रकाशित की है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Muhammed Bin Salman) अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से एक बड़ा रक्षा सौदा कर रहे हैं, ये सौदा करीब 95 प्रतिशत तक पूरा भी हो गया था लेकिन ऐन वक्त पर क्राउन प्रिंस ने इस बड़ी डील को पूरा करने से इनकार कर दिया हालांकि उन्होंने इसके बजाय एक छोटे सैन्य सहयोग पर सहमत होने को कहा है। पहले जो बड़ी रक्षा डील हो रही थी, उसमें दोनों देशों की आधुनिक डिफेंस तकनीक की साझेदारी, सऊदी अरब के निवेश, रक्षा उद्योगों में दोनों देशों की पार्टनरशिप, ईरान से क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिए संयुक्त सैन्य अभ्यास, अभ्यास का विस्तार, साथ ही चीन के साथ सहयोग को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय भी शामिल थे।
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक सऊदी अरब ये चाहता है कि गाज़ा में इजरायल का युद्ध खत्म हो और फिलिस्तीन को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, इसीलिए वो इस डील को रद्द कर अमेरिका पर दबाव बनाना चाहता है। ताकि अमेरिका इजरायल को इसके लिए राजी करे।
गाज़ा में युद्ध छिड़ने से पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व के लगभग सभी मुस्लिम देश खासे नाराज़ थे। उन्होंने खुले तौर पर इजरायल को चेतावनी भी दी थी. लेकिन इन मुस्लिम देशों में सऊदी अरब ही एक ऐसा देश था जिसने संतुलित तरीके से इजरायल पर अपनी रुख रखा। सऊदी ने ईरान पर हमले के दौरान भी दोनों देशों से इस दुश्मनी को खत्म करने को कहा था, साथ ही टू स्टेट पॉलिसी पर इजरायल के साथ नरम रुख पर था। लेकिन इजरायल के गाज़ा में युद्ध खत्म करने को लेकर सऊदी अरब खासा अब खासा नाराज़ हो गया है।
इस बात का अंदाजा इसी से लग जाता है जब रियाद में अरब देशों की बैठक हुई थी और ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के साथ इजरायल को लेकर एक सऊदी अरब ने बड़े बयान दिए थे. सऊदी ने इजरायल को युद्ध खत्म ना करने पर चेतावनी दी थी और गंभीर परिणाम भुगतने को कहा था। सऊदी अरब के नरमी के दौरान इजरायल को इस बात की तसल्ली थी उसकी कार्रवाई कोई ताकतवर मुस्लिम देश तो उसके साथ है, हालांकि ऐसा कभी रहा नहीं।
पश्चिमी अधिकारियों ने खबर के जरिए कहा है कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अभी भी सऊदी अरब के साथ संबंधों को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि इससे यहूदी देश इजरायल की अरब जगत में स्वीकृति हो सकती है। जिस डील को रद्द कर दिया गया है उसे अस्तित्व में आने के लिए अमेरिकी सीनेट में दो तिहाई बहुमत से पारित होना होगा लेकिन जब तक सऊदी अरब इजरायल को मान्यता नहीं देता, ये संभव नहीं होगा।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस डील को जो बाइडेन के पद पर रहते हुए पूरी होने की उम्मीद है। लेकिन अगर ये डील नहीं हुई तो ट्रंप के आने के बाद इसके पूरा होने में कई रुकावटें आ सकती हैं। हालांकि ट्रंप के सऊदी अरब से अच्छे संबंध हैं लेकिन ट्रंप भी इजरायल के पक्ष में हैं ऐसे में ये डील सऊदी अरब कैसे करेगा इस पर प्रश्नचिह्न हैं। रिपोर्ट में लिखा है कि जब सऊदी अरब के लिए अमेरिकी सुरक्षा गारंटी पर समझौता करने के प्रयासों के बारे में व्हाइट हाउस से सवाल किए गए तो राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने इनकार कर दिया। वहीं फिलिस्तीनी राज्य के संबंध में सऊदी अरब के रुख के बारे में पूछे जाने पर नेतन्याहू के कार्यालय ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।