Thailand Cambodia Border Conflict: डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर के ऐलान के बावजूद थाईलैंड-कंबोडिया बॉर्डर पर जंग जारी है और फाइटर जेट्स से बमबारी हो रही है।
Thailand Cambodia Border Conflict: आजकल दुनिया के कई देशों के बीच विवाद चल रहा है, और एक ऐसा ही मामला है थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बॉर्डर पर तनाव (Thailand Cambodia War)। ये दोनों पड़ोसी देश बरसों से एक पुराने सीमा विवाद को लेकर आपस में जंग कर रहे हैं। हाल ही में लड़ाई फिर से भड़क उठी है (Thai Military Airstrikes) और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो ऐलान कर दिया कि दोनों देशों ने सीजफायर (Donald Trump Ceasefire Deal) मान लिया है। लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही है – गोलीबारी और F-16 से बमबारी अभी भी रुकी नहीं है। आइए, जानते हैं कि क्या हो रहा है और इसका भारत से क्या कनेक्शन है।
इस विवाद की जड़ बहुत पुरानी है। करीब 100 साल पहले, जब कंबोडिया फ्रांस के कब्जे में था, तब 1907 में फ्रांसीसियों ने दोनों देशों की 800 किलोमीटर लंबी बॉर्डर की लाइन खींची थी। थाईलैंड को वह लाइन कभी पसंद नहीं आई और दोनों तरफ से दावे चलते रहते हैं। कई बार छोटी-मोटी झड़पें होती रही हैं, लेकिन इस बार बात ज्यादा बढ़ गई। जुलाई में कंबोडिया ने रॉकेट दागे, थाईलैंड ने जवाब में एयर स्ट्राइक की। फिर अक्टूबर में ट्रंप और मलेशिया के पीएम अनवर इब्राहिम ने मिल कर एक सीजफायर करवाया – दोनों देशों ने वादा किया कि फायरिंग बंद करेंगे। सबको लगा शांति हो जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
दोनों तरफ एक-दूसरे पर आरोप लगने लगे। थाईलैंड कहता है कि कंबोडिया ने बॉर्डर पर लैंडमाइंस बिछाईं, जिनसे उनके सात सैनिक घायल हो गए। कंबोडिया बोला कि वे 1980 के गृहयुद्ध की पुरानी माइंस हैं। फिर पिछले हफ्ते एक झड़प में थाई सैनिक घायल हुए तो थाईलैंड ने कंबोडिया में एयर स्ट्राइक शुरू कर दी। कंबोडिया ने भी रॉकेट से जवाब दिया। नतीजा? थाईलैंड के उत्तर-पूर्वी छह प्रांत और कंबोडिया के उत्तरी इलाकों में गोले गिर रहे हैं। अब तक 21 लोग मारे जा चुके हैं और दोनों तरफ से 7 लाख लोग अपना घर छोड़ कर भाग गए हैं।
फिर आया ट्रंप का रोल। शुक्रवार रात को उन्होंने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों से फोन पर बात की और सोशल मीडिया पर पोस्ट किया – "दोनों देशों ने आज शाम से फायरिंग बंद करने पर सहमति जता दी है। वो अक्टूबर वाले समझौते पर वापस आ गए हैं। दोनों शांति चाहते हैं!" सबको लगा अब लड़ाई रुक जाएगी। लेकिन थाई प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नविराकुल ने साफ कह दिया कि सीजफायर तभी संभव है जब कंबोडिया अपनी फौजें पीछे हटाए और माइंस हटाए। उन्होंने ट्रंप को बताया कि थाईलैंड हमलावर नहीं है, पहले कंबोडिया कदम उठाए। थाई पीएम ने तो सोशल मीडिया पर लिखा – "जब तक हमें खतरा महसूस होता रहेगा, हम अपनी रक्षा करते रहेंगे।"
अब हकीकत क्या है? शनिवार सुबह तक लड़ाई जारी थी। कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 13 दिसंबर 2025 को थाईलैंड ने दो F-16 फाइटर जेट से सात बम गिराए और बमबारी अभी भी रुक नहीं रही। थाई सेना ने भी स्वीकार किया कि ऑपरेशन चल रहे हैं। बॉर्डर पर थाई फौजें ऊंची जगहों पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ रही हैं। दोनों तरफ रात भर शेलिंग हुई।
अब भारत से क्यों जुड़ाव महसूस होता है? हमारा देश भी पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा विवाद झेलता है। यह देखकर लगता है कि पुराने विवाद कितनी आसानी से भड़क उठते हैं। थाईलैंड और कंबोडिया दक्षिण-पूर्व एशिया में हैं, जहां भारत की 'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी है। दोनों देशों से हमारे अच्छे रिश्ते हैं – ट्रेड, टूरिज्म और कल्चरल संबंध। अगर वहां अस्थिरता रही तो पूरे इलाके की इकोनॉमी प्रभावित होगी और भारत के निवेश पर भी असर पड़ सकता है। हमें उम्मीद है कि जल्दी शांति हो, क्योंकि युद्ध किसी के हित में नहीं। आम लोग सबसे ज्यादा पिसते हैं – घर छोड़ना, जान का खतरा। ट्रंप की कोशिश सराहनीय है, लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत से ही समस्या का समाधान होगा।