Jayant Patel Surgeon Case: भारतीय मूल के सर्जन जयंत पटेल को ऑस्ट्रेलिया में तीन मरीजों की हत्या के लिए 7 साल जेल हुई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सजा रद्द कर दी।
Jayant Patel Surgeon Case: ऑस्ट्रेलिया में तीन मरीजों की मौत के लिए 7 साल जेल की सजा काटने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी सर्जन जयंत पटेल (Jayant Patel Surgeon) अब अमेरिका में आराम से रह रहे हैं। 75 साल की उम्र में वे कहते हैं – "मैं सब भूल चुका हूँ, अब आगे बढ़ गया हूँ!" आइए, उनकी पूरी कहानी समझते हैं। दरअसल भारतीय मूल के सर्जन पटेल 2003-2005 तक क्वींसलैंड के बुंडाबर्ग अस्पताल (Bundaberg Deaths Case) में काम करते थे। वहां स्टाफ ने शिकायत की कि वे गलत ऑपरेशन, गलत डायग्नोसिस और खतरनाक सर्जरी तकनीक का इस्तेमाल करते थे। तीन मरीजों की मौत के लिए उन्हें 2008 में अमेरिका से गिरफ्तार कर ऑस्ट्रेलिया( Indian Doctor Conviction) लाया गया। सन 2010 में कोर्ट ने उन्हें तीन हत्याओं और एक मरीज को नुकसान पहुंचाने के लिए 7 साल की सजा सुनाई। मीडिया ने उन्हें 'डेथ डॉक्टर' और 'बुचर ऑफ बुंडाबर्ग' तक कहा।
बाद में सन 2012 में ऑस्ट्रेलिया की सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा रद्द कर दी। कोर्ट ने कहा – गवाहों के बयान और सुबूतों में खामियां थीं। सन 2013 में बाकी आरोप भी हटा दिए गए। उसी साल जयंत पटेल ऑस्ट्रेलिया छोड़ कर अमेरिका लौट गए। अब वे पोर्टलैंड, ओरेगन में अपनी डॉक्टर पत्नी किशोर पटेल के साथ रहते हैं। उनका घर चार बेडरूम, चार बाथरूम वाला लग्जरी ईंट का मकान है, जिसमें तीन गैरेज और सफेद लेक्सस RX L कार है।
2015 में द ऑस्ट्रेलियन अखबार के पत्रकार ने उनके घर जाकर पूछा – "क्या आपको उन मौतों का अफसोस है?" जयंत पटेल ने शांत स्वर में कहा: "यह बहुत पुरानी बात है। मैं इसके बारे में पूरी तरह भूल चुका हूँ। मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गया हूँ। मैं ठीक हूँ।" वे बिल्कुल अप्रभावित और अलग-थलग लगे। न गुस्सा, न पछतावा दिखा।
अमेरिका लौटने के बाद उन्होंने मेडिकल प्रैक्टिस छोड़ दी। अब वे रिटायर्ड लाइफ जी रहे हैं। कोई इंटरव्यू नहीं देते, कोई सोशल मीडिया नहीं। बस अपनी पत्नी के साथ शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में उनके खिलाफ कोई कानूनी केस नहीं बचा है। वे कानूनी रूप से स्वतंत्र हैं। सोशल मीडिया पर कुछ कमेंट्स देखें:
"सजा रद्द हो गई, लेकिन क्या मरीजों के परिवारों का दर्द मिट गया? " – @JusticeWatch_IN
"कानून ने छोड़ दिया, लेकिन नैतिकता? ये सवाल बाकी है।" – @MedEthicsToday
बहरहाल यह केस मेडिकल इथिक्स, कानूनी खामियों और डॉक्टरों की जवाबदेही पर बड़ा सवाल उठाता है। क्या सजा रद्द होने का मतलब मासूमियत है? या सिर्फ कानूनी जीत? दूसरी तरफ, कई डॉक्टर कहते हैं – "एक गलती से पूरी जिंदगी बर्बाद नहीं होनी चाहिए।" लेकिन पीड़ित परिवार आज भी इंसाफ मांग रहे हैं।