Trump-Netanyahu Meeting: डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू के बीच सोमवार को मुलाकात हुई और इस दौरान टैरिफ समेत इज़रायल-हमास युद्ध पर भी चर्चा हुई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और इज़रायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) के बीच सोमवार को मुलाकात हुई। ट्रंप की तरफ से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के बाद नेतन्याहू पहले ग्लोबल लीडर हैं, जिन्होंने अमेरिका जाकर ट्रंप से मुलाकात की। गौरतलब है कि अमेरिका (United States Of America) की तरफ से इज़रायल (Israel) पर भी 17% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया गया है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए नेतन्याहू ने ट्रंप से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद नेतन्याहू ने भरोसा जताया कि वह और ट्रंप मिलकर दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार में आने वाली मुश्किलों को दूर करेंगे। दोनों देशों के लीडर्स के बीच हुई मुलाकात में इज़रायल-हमास युद्ध (Israel-Hamas War) पर भी चर्चा की गई।
ट्रंप-नेतन्याहू की मुलाकात का इज़रायल-हमास युद्ध पर कैसे असर पड़ सकता है? आइए जानते हैं।
नेतन्याहू से बातचीत बाद ट्रंप ने इस ओर संकेत दिए कि गाज़ा में जल्द शांति लौट सकती है। गौरतलब है कि इज़रायल ने फिर गाज़ा पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए हैं, जिससे एक बार फिर तबाही मचने का दौर शुरू हो गया है। हालांकि ट्रंप का कहना है कि जल्द ही इस युद्ध में शांति की स्थापना हो सकती है।
गाज़ा पर इज़रायली हमलों से अब हमास के अधिकारी भी परेशान हो चुके हैं। अब तक इस युद्ध में हमास के लगभग सभी मुख्य लोग मारे जा चुके हैं और आतंकी संगठन को बहुत ज़्यादा नुकसान हुआ है। ऐसे में हमास के कई अधिकारी भी अब चाहते हैं कि युद्ध जल्द से जल्द हमेशा के लिए खत्म हो जाए। इसके लिए लगातार कोशिशें की जा रही हैं।
इज़रायल की तरफ से पहले ही साफ किया जा चुका है कि जब तक हमास की तरफ से बचे हुए इज़रायली बंधकों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक फिर से सीज़फायर लागू नहीं होगा। कतर और मिस्त्र, जो शुरू से ही मध्यस्थ रहे हैं, भी लगातार कोशिश कर रहे हैं कि दोनों पक्षों के बीच स्थायी सीज़फायर लागू किया जा सके। यह तभी संभव होगा जब हमास बचे हुए बंधकों को छोड़ने के लिए राज़ी हो जाएगा। युद्ध की गंभीरता को देखते हुए इस बात की संभावना जताई जा रही है कि हमास, आने वाले समय में ऐसा करने के लिए राज़ी हो सकता है। हालांकि इस विषय में तब तक पुष्टि नहीं की जा सकती जब तक हमास खुद इसके लिए तैयार नहीं होता।
अगर हमास, इज़रायली बंधकों की रिहाई के लिए राज़ी होता है, तो इसके बदले में इज़रायल भी फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ने के लिए तैयार हो सकता है। दोनों पक्षों के ऐसा करने के लिए तैयार होने पर युद्ध रुकने की संभावना भी काफी ज़्यादा हो जाएगी।
यह भी पढ़ें- भारत ने दिया बांग्लादेश को बड़ा झटका, बंद की ट्रांसशिपमेंट सुविधा