Iran nuclear program: ईरान, रूस और चीन के शीर्ष राजनयिकों के बीच बैठक से संकेत मिलता है कि तेहरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर नये सिरे से बातचीत करने के लिए तैयार हो सकता है।
Iran nuclear program: तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत करने के लिए ईरान, रूस ( Russia) और चीन ( China) के राजनयिक बीजिंग में मिल रहे हैं, जिससे बरसों की देरी के बाद बातचीत शुरू होने की संभावना बनी है। चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि बीजिंग ने कहा कि तीनों देश ईरान के परमाणु मुद्दे (nuclear program) का “कूटनीतिक” समाधान खोजने की उम्मीद करते हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने बैठक से पहले संवाददाताओं से कहा, "हमारा मानना है कि मौजूदा हालात में सभी पक्षों को ईरान परमाणु मामला और बिगड़ने से रोकने के लिए शांति और संयम बनाए रखना चाहिए, या टकराव और संघर्ष की ओर बढ़ने से बचना चाहिए।" चीनी मीडिया के अनुसार, बैठक में चीनी उप विदेश मंत्री मा झाओक्सू, रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव और ईरान (Iran) के उप विदेश मंत्री काज़ेम ग़रीबाबादी ने भाग लिया, जिन्होंने "ईरान परमाणु मुद्दे और आम चिंता के अन्य मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।"
डोनाल्ड ट्रंप ने सन 2018 में अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के एक वर्ष बाद, 2015 में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय संघ के साथ ईरान की ओर से किए गए ऐतिहासिक समझौते से हाथ खींच लिए, जिसके तहत तेहरान ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने के बदले में अपने परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने पर सहमति व्यक्त की थी।
तेहरान ने समझौते की शर्तों का पालन करना जारी रखा, जिसे तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन के लिए मील का पत्थर माना जाता था, लेकिन ट्रंप ने समझौता समाप्त करने के बाद धीरे-धीरे अपनी प्रतिबद्धताओं को वापस लेना शुरू कर दिया। जनवरी में व्हाइट हाउस लौटने के बाद से तेहरान के साथ परमाणु वार्ता फिर से शुरू करने के लिए ट्रंप की ओर से की गई कई पहल के बाद बीजिंग में तीनों राजनयिकों के बीच यह बैठक हुई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस सप्ताह ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने नई वार्ता करने का आह्वान किया है, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी है कि देश के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करना अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में है।
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने जवाब दिया है कि वह “धमकी” के कारण अमेरिका के साथ बातचीत नहीं करेंगे, और ईरान बातचीत करने के लिए अमेरिका के “आदेशों” के आगे नहीं झुकेगा। ईरान तब और भड़क गया, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से छह अमेरिका, फ्रांस, ग्रीस, पनामा, दक्षिण कोरिया और यूनाइटेड किंगडम ने इस सप्ताह अपने परमाणु कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए बंद कमरे में बैठक की। तेहरान ने कहा कि यह बैठक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का “दुरुपयोग” है।
ईरान ने भी अमेरिका पर शुक्रवार को अलग से “पाखंड” का आरोप लगाया, जब वाशिंगटन ने उसके तेल मंत्री को निशाना बनाते हुए नए प्रतिबंधों की घोषणा की, और कहा कि ये “इन बयानों की झूठी बातों का एक और स्पष्ट सुबूत है और विकास के प्रति उसकी शत्रुता का एक और संकेत है।” अयातुल्ला खामेनेई का कहना है कि तेहरान के पास परमाणु हथियार नहीं हैं और न ही वह उन्हें चाहता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान के पास समृद्ध यूरेनियम का भंडार परमाणु बम की आवश्यकताओं के करीब है।