USA-Ukrainian Officials Meeting: अमेरिका और यूक्रेन के अधिकारियों के बीच अगले हफ्ते मुलाकात होगी। यह मुलाकात काफी अहम बताई जा रही है। क्या है इसकी अहमियत? आइए जानते हैं।
अमेरिका (United States Of America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और यूक्रेन (Ukraine) के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेन्स्की (Volodymyr Zelenskyy) के बीच ओवल ऑफिस (Oval Office) में हुई मीटिंग दुनियाभर में ही चर्चा का विषय बन गई। इसकी वजह है दोनों के बीच हुई बहस, ज़ेलेन्स्की ओवल ऑफिस ही नहीं, बल्कि अमेरिका छोड़कर भी चले गए। हालांकि ट्रंप ने अब यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी मदद पर बैन लगा दिया है और साथ ही यूक्रेन को दी जाने वाली खुफिया जानकारी पर भी रोक लगा दी है। ऐसे में लगता है कि ज़ेलेन्स्की को अपनी गलती का एहसास हो गया है। ज़ेलेन्स्की ने पत्र लिखकर ट्रंप से मिलकर दोनों देशों में संबंधों में सुधार करने की इच्छा जताई है और साथ ही युद्ध में शांति वार्ता स्थापित करने की भी बात कही है। इसी विषय में अब दोनों देशों के बीच अहम मीटिंग होने की तैयारी है।
अमेरिकी अधिकारियों की यूक्रेनी अधिकारियों से सऊदी अरब में मीटिंग होगी। दोनों पक्षों के बीच यह मीटिंग अगले हफ्ते होगी। ट्रंप और ज़ेलेन्स्की ने भी दोनों पक्षों के अधिकारियों के बीच होने वाली मीटिंग के बारे में पुष्टि की है।
ट्रंप से बहस के बाद पहले लगा रहा था कि ज़ेलेन्स्की अपने तेवर नहीं बदलेंगे। ज़ेलेन्स्की ने साफ कह दिया था कि वह ट्रंप से बहस के विषय में माफी नहीं मांगेंगे। लेकिन अब ज़ेलेन्स्की के मिज़ाज अचानक से बदल गए हैं। दरअसल ट्रंप के यूक्रेन को देने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता पर रोक लगाने से ज़ेलेन्स्की को बड़ा झटका लगा है। ट्रंप का रूस की ओर झुकाव भी देखा जा सकता है। इतना ही नहीं, ट्रंप ने अब इस युद्ध में यूक्रेन को रूस के खिलाफ खुफिया जानकारी देना भी बंद कर दिया है। इस वजह से अब ज़ेलेन्स्की के मिज़ाज बदल गए हैं।
अगले हफ्ते सऊदी अरब में अमेरिका और यूक्रेन के अधिकारियों के बीच होने वाली मीटिंग में रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को खत्म करने का रोडमैप तैयार हो सकता है। ऐसे में इस बारे में चर्चा संभव है कि दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध को कैसे खत्म किया जाए और इसके लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) और यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की के बीच मुलाकात की व्यवस्था भी कराई जा सकती है, जिससे दोनों आमने-सामने शांति-वार्ता कर सके।
अगर रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता होती है, तो इसकी क्या शर्तें हो सकती हैं, यह भी एक अहम सवाल है। ज़ेलेन्स्की और पुतिन, दोनों पहले ही कह चुके हैं कि वो इस युद्ध में समझौता नहीं करना चाहते। इसके अलावा यूक्रेनी राष्ट्रपति समय-समय पर नाटो की सदस्यता की मांग उठा चुके हैं। युद्ध शुरू होने का कारण ही यूक्रेन का नाटो की सदस्यता की मांग करना था। इसके अलावा ज़ेलेन्स्की यह भी चाहते हैं कि युद्ध के दौरान रूस ने यूक्रेन के जितने हिस्से पर कब्ज़ा किया है, वो यूक्रेन को वापस लौटाया जाए। पुतिन साफ कर चुके हैं कि वह यूक्रेन को नाटो में शामिल होने नहीं देंगे। इतना ही नहीं, वह यह भी साफ कर चुके हैं कि रूस ने इस युद्ध में अब तक यूक्रेन के जितने हिस्से पर कब्ज़ा किया है, वह उसे लौटाने के पक्ष में नहीं है। ट्रंप भी यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की बात का विरोध कर चुके हैं और साथ ही यह भी कह चुके हैं कि रूस ने बड़ी मुश्किल से युद्ध लड़ते हुए जिस हिस्से पर कब्ज़ा किया है, उसे लौटाना सही नहीं होगा। ऐसे में रूस और यूक्रेन दोनों ही अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं, तो यह देखना होगा कि शांति स्थापित करने के लिए किन शर्तों पर सहमति बनेगी।
यह भी पढ़ें- अमेरिका बनाएगा बिटकॉइन रणनीतिक भंडार, डोनाल्ड ट्रंप ने दिया ग्रीन सिग्नल