पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश में कुपोषण एक बड़ी समस्या है। पाकिस्तान में 58% घरों में खाद्य असुरक्षा है, 44% बच्चे अविकसित हैं और 40% बच्चे कम वजन के हैं। इन देशों में लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता है
पाकिस्तान की 60 फीसदी जनता के वश में पौष्टिक खाना नहीं है। भारत और बांग्लादेश का हाल भी लगभग बराबर है। एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय खाद्य एवं कृषि संगठन ने इस संबंध में साल 2024 का एक आंकड़ा प्रस्तुत किया है। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि किस देश के कितने प्रतिशत नागरिक पौष्टिक खाना खाने की स्थिति में नहीं है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि दक्षिण एशिया में फिलहाल लाखों लोगों के वश में स्वस्थ आहार नहीं है। पिछली बार की तुलना में भारत की स्थिति में सुधार तो हुआ है, लेकिन आज भी हर 10 में से चार लोग इसे वहन नहीं कर पाते। पाकिस्तान में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 2024 में पाकिस्तान की 60 फीसदी जनता स्वस्थ आहार का खर्च वहन करने में असमर्थ रही। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश के लोगों की आर्थिक स्थिति फिलहाल कैसी है।
वहीं, इस मामले में दूसरे नंबर बांग्लादेश है। जहां 2024 में 44.4 प्रतिशत जनता पौष्टिक आहार खरीदकर खाने में असमर्थ रही। हालांकि, 2017 की तुलना में बांग्लादेश ने इस स्थिति में बड़े पैमाने पर सुधार किया है। तब 65.7 प्रतिशत बांग्लादेश की जनता के वश में पौष्टिक खाना नहीं था।
इसके बाद तीसरे नंबर पर फिलीपींस है। फिलीपींस की 44 प्रतिशत जनता 2024 में पौष्टिक आहार तक पहुंच बनाने में असमर्थ रही। इसके बाद, श्रीलंका का हाल भी कुछ ऐसा ही है। श्रीलंका की 42.9 प्रतिशत जनता साल 2024 में पौष्टिक आहार खरीदकर खाने में असमर्थ रही।
इसके बाद, लिस्ट में भारत का स्थान है। भारत की 40 प्रतिशत जनता के वश में पौष्टिक आहार नहीं है। हालांकि, भारत ने 2017 की तुलना में खुद की स्थिति में काफी सुधार किया है। 2017 में 59.2 प्रतिशत भारत की जनता पौष्टिक आहार खरीदकर खाने में असमर्थ थी।
वहीं, म्यांमार में 38 प्रतिशत तो नेपाल में 20 प्रतिशत जनता 2024 में पौष्टिक आहार तक पहुंच बनाने में असमर्थ रही। इसके अलावा, चीन की स्थति काफी हद तक ठीक है। यहां की सिर्फ 12.2 फीसद जनता के वश में पौष्टिक खाना नहीं है।