Yunus Denies Hindu Violence Bangladesh: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने हिंदुओं पर हिंसा के आरोपों को झूठ बताया और भारत की मीडिया को फेक न्यूज फैलाने का दोषी ठहराया है।
Yunus Denies Hindu Violence Bangladesh: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus interview) ने हाल के दिनों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही कथित हिंसा को पूरी तरह नकार दिया (Yunus Denies Hindu Violence Bangladesh) है। उनका मानना है कि हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमलों की खबरें बिल्कुल गलत हैं। प्रसिद्ध पत्रकार मेहदी हसन (Journalist Mehdi Hasan) के साथ एक इंटरव्यू में यूनुस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की चिंता को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ट्रंप को बांग्लादेश की असल स्थिति की जानकारी ही नहीं है। यूनुस ने इन खबरों का सारा दोष भारत पर डाल दिया, दावा किया कि वहां की मीडिया फर्जी कहानियां गढ़ रही है।
पिछले साल अगस्त में बड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना की सरकार गिर गई थी। इसके बाद यूनुस के नेतृत्व में नई अंतरिम व्यवस्था बनी। इस दौरान हिंदुओं पर हमलों की कई रिपोर्ट्स आईं, जिन पर भारत और अमेरिका जैसे देशों ने गंभीर सवाल उठाए। यूनुस ने खुद कई बार शांति की अपील की और हिंदू समुदायों से मिलकर कानून-व्यवस्था सुधारने की कोशिश की। लेकिन अब वे इन आरोपों से पूरी तरह मुकर गए हैं। उनका कहना है कि ये खबरें हवा में उड़ी अफवाहें मात्र हैं।
मेहदी हसन ने इंटरव्यू में यूनुस से पूछा कि नवंबर में करीब 30,000 हिंदू आपकी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। ट्रंप ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ बर्बर व्यवहार की बात कही। इस पर यूनुस ने साफ कहा कि ऐसी बातों में कोई सच्चाई नहीं। ट्रंप को जमीनी हकीकत पता नहीं। वे बांग्लादेश की वास्तविकता से अनजान हैं। यूनुस ने जोर देकर कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ कोई हिंसा नहीं हो रही है।
हसन के एक और सवाल पर यूनुस ने कहा कि खबरें न सिर्फ बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गईं, बल्कि पूरी तरह झूठी हैं। उन्होंने भारत को निशाना बनाते हुए कहा कि वहां फेक न्यूज फैलाने का कारखाना चल रहा है। बांग्लादेश में हिंदू-विरोधी माहौल का कोई सबूत नहीं। यूनुस का यह बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ सकता है, क्योंकि कई मानवाधिकार संगठन अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल उठा चुके हैं।
यूनुस ने अपनी राजनीतिक भूमिका पर भी बात की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की जनता उन्हें लंबे समय तक नेता के रूप में देखना चाहती है। चुनावों को फरवरी तक टालने पर आलोचना हो रही है। कुछ लोग 18 महीने की समयसीमा को ज्यादा मानते हैं। लेकिन यूनुस ने इसका बचाव किया। उन्होंने बताया कि समाज का एक हिस्सा जल्द चुनाव चाहता है, तो दूसरा स्थिरता और साफ-सुथरी सरकार को तरजीह देता है। कई लोग चाहते हैं कि वे 5-10 साल या इससे ज्यादा समय सत्ता संभालें, ताकि भ्रष्टाचार और अस्थिरता का चक्र दोबारा न चले।
यूनुस का यह बयान भारत-बांग्लादेश संबंधों को और तनावपूर्ण बना सकता है। फेक न्यूज का आरोप गंभीर है, लेकिन जमीनी हकीकत जांच जरूरी है।
बहरहाल यह बयान यूनुस की सरकार के भविष्य पर सवाल खड़े करता है। क्या वे लंबे समय तक सत्ता में रहेंगे? या अंतरराष्ट्रीय दबाव से स्थिति बदलेगी? बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा अब वैश्विक चर्चा का विषय बनी हुई है।