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गुस्साए ज़ेलेंस्की ने UNGA में यूएन की सिर्फ लफ्फाजी पर उठाए सवाल, कहा– हथियार तय करते हैं जीत और हार!

Zelensky UNGA Speech: यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने यूएन महासभा में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा कि युद्ध में जीत हथियारों से तय होती है।

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Sep 24, 2025
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधित करते हुए। (फोटो: X Handle Andrii Sybiha.)

Zelensky UNGA Speech: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने अस्सीवीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की आम बहस (Zelensky UNGA speech)के दूसरे दिन संयुक्त राष्ट्र (UNGA 2025) की कामयाबी और उसकी भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि दशकों से जारी युद्धों में यूएन की उपस्थिति सिर्फ़ बयानबाजी तक सीमित रह गई है। ज़ेलेंस्की ने कहा, “किसी भी युद्ध प्रभावित देश को यूएन (UN Security Council veto) से उम्मीद करना चाहिए कि वह केवल वक्तव्य देगा, कार्रवाई नहीं करेगा।” यूक्रेन के राष्ट्रपति ने गाजा, सीरिया और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी गंभीर समस्याओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उदासीनता पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि इन इलाक़ों में यूएन और वैश्विक व्यवस्था गंभीर रूप से नाकाम रही है। उनका मानना है कि संयुक्त राष्ट्र अब भी अपने महत्वपूर्ण कामों में प्रभावी साबित नहीं हो पा रहा।

हथियारों की भूमिका पर ज़ोर, कहा–“शांति के लिए हथियार जरूरी” (Ukraine war weapons)

ज़ेलेंस्की ने विशेष रूप से यह बात कही कि युद्ध में जीत या हार का फैसला कानूनी नियमों या कूटनीति से नहीं, बल्कि हथियारों से होता है। उन्होंने कहा, “अगर कोई देश सचमुच शांति चाहता है, तो उसे हथियारों के मामले में मजबूत होना पड़ेगा। यह सच है चाहे हमें इसे पसंद हो या नहीं। न तो कानून काम करता है, न ही सहयोग। असली ताकत हथियारों में होती है।”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कमजोर संरचना पर बड़ा सवाल(UN Security Council veto)

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रणाली पर भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद का काम तभी सही से हो पाता है, जब शक्तिशाली देश उसे समर्थन दें। लेकिन रूस, जो इस परिषद का एक स्थायी सदस्य है, वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर के कई अहम प्रस्तावों को रोक देता है।

रूस की वीटो पॉवर और उसका प्रभाव(Global peace reform)

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों में रूस का भी नाम शामिल है। इन्हें वीटो अधिकार प्राप्त है, जो उन्हें किसी भी प्रस्ताव को रोकने की शक्ति देता है। रूस ने इस अधिकार का कई बार इस्तेमाल किया है, खासकर यूक्रेन युद्ध और सूडान में मानवता संकट जैसे मामलों में। मास्को ने इतिहास में सबसे अधिक बार वीटो का इस्तेमाल कर वैश्विक शांति प्रयासों को बाधित किया है।

यूक्रेन को अमेरिकी सैन्य सहायता में पेश आ रहीं रुकावटें

ज़ेलेंस्की ने इस बात का भी जिक्र किया कि यूक्रेन को अमेरिका से मिलने वाली सैन्य सहायता में लगातार समस्याएं पेश आ रही हैं। इससे उनकी लड़ाई और कठिन हो गई है। इस वजह से यूक्रेन को और ज्यादा हथियार और सहयोग की सख्त जरूरत है ताकि वह अपनी सुरक्षा कर सके।

यूएन की भूमिका पर पुनर्विचार जरूरी

बहरहाल यूक्रेनी राष्ट्रपति के भाषण ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता और उसकी वैश्विक भूमिका पर बहस छेड़ दी है। यह साफ़ हो गया है कि आज के समय में शांति कायम रखने के लिए केवल कूटनीति नहीं, बल्कि सशस्त्र ताकत भी जरूरी है। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की संरचना में सुधार की भी जरूरत है ताकि वह सभी देशों के लिए निष्पक्ष और प्रभावी बन सके। (एएनआई)

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