Budhvar Vrat Vidhi For wisdom: बुधवार का दिन भगवान गणेश और बुध ग्रह को समर्पित है। मान्यता है कि बुधवार को व्रत रखकर, गणेश जी की पूजा करने से विशेष फल मिलते हैं। बुद्धि और व्यापार में वृद्धि होती है, वाणी प्रभावशाली बनती है। आइये जानते हैं बुधवार व्रत की विधि ...
Budh dev Puja Niyam: स्कंद पुराण के अनुसार बुधवार को भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत रखने से बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके अलावा बुधवार का व्रत करने से बुध ग्रह से संबंधित दोष भी दूर होते हैं। आइये जानते हैं बुधवार व्रत के नियम (Budhwar Vrat Vidhi Mantra For wisdom)
1.व्रत शुरू करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर और पूजा स्थल को साफ करें, गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
2. एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की ओर मुख करके आसन पर बैठें।
3. श्री गणेश को दूर्वा और पीले पुष्प अर्पित करें, साथ ही बुध देव को हरे रंग के वस्त्र चढ़ाएं।
4. पूजा के दौरान श्री गणेश और बुध देव के ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा मंत्रों का जाप करें।
5. फिर व्रत कथा सुनें और उनकी पूजा करें।
6. अंत में श्री गणेश को हलवे का भोग लगाएं और फिर श्री गणेश और बुध देव की आरती करें। उसके बाद आरती का आचमन करें।
7. पूजा समाप्त होने पर भोग को प्रसाद के रूप में सभी में बांट दें।
8. शाम के समय फलाहार से व्रत का पारण करें, गरीबों को दान करें।
बुधवार व्रत के दिन मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है। इस व्रत में झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना और तेल मालिश करना वर्जित माना गया है।
वाराणसी के पुरोहित शिवम तिवारी के अनुसार बुधवार व्रत रहना शुरू करने के बाद कम से कम 12 बुधवार का व्रत रखना चाहिए। इतने दिन व्रत के बाद ही उद्यापन करना चाहिए।
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि (सुबह 11 बजकर 58 मिनट तक) 2 जुलाई को बुधवार व्रत पड़ रहा है। इसी दिन चंद्रमा कन्या राशि में विराजमान रहेंगे और सूर्य मिथुन राशि में रहेंगे।
बता दें कि 2 जुलाई को सप्तमी तिथि सुबह 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगी, फिर उसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहु काल का समय 12 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर 02 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।