
Delhi Blast: दिल्ली ब्लास्ट ने छीना बेटी का सहारा: Image Source - 'X' @IANS
Delhi Car Blast News Hindi: दिल्ली में हुए भीषण धमाके में अमरोहा जिले के हसनपुर के व्यापारी लोकेश अग्रवाल और मंगरौला निवासी अशोक कुमार की जिंदगी हमेशा के लिए खत्म कर दी। दोनों में 16 साल पुरानी दोस्ती थी, जो आखिरकार मौत की वजह भी बन गई। अशोक कुमार की घर वापसी अब ताबूत में हुई।
वहीं अशोक, जो अपनी आठ साल की बेटी आराध्या की रील देखकर मुस्कुराया करते थे। करीब आठ दिन पहले आराध्या ने अपने प्यारे पापा को समर्पित करते हुए एक मार्मिक रील बनाई थी “पापा घर आते हैं, गले से लगाते हैं, प्यार जताते हैं, पलकों पर बिठाते हैं…”
दो नवंबर को अशोक ने इस रील को बड़े गर्व से अपने फेसबुक अकाउंट पर शेयर किया था। लेकिन किसे पता था कि सिर्फ आठ दिन बाद वही पिता इस दुनिया से विदा ले लेंगे। अब आराध्या रोते हुए कहती है- “अब किसके लिए बनाऊं रील?” उसकी मासूम आवाज सुनकर हर किसी की आंखें भर आईं।
दिल्ली ब्लास्ट में दोस्ती की मिसाल बने अशोक और लोकेश ने साथ जीने और साथ हंसने का वादा किया था, लेकिन अब दोनों की कहानी एक साथ खत्म हो गई। दोनों व्यापारी काम के सिलसिले में दिल्ली पहुंचे थे। धमाके के बाद लोकेश अग्रवाल का शव इतनी बुरी तरह जला था कि परिजनों को पहचानने में घंटों लग गए।
लोकेश की पहचान उनके दाहिने हाथ में पहनी अंगूठी से हुई, जबकि अशोक का शव उससे करीब पांच मीटर की दूरी पर पड़ा मिला। पुलिस को लोकेश का मोबाइल मिला, जिससे कॉल कर परिजनों को हादसे की सूचना दी गई। दोनों के परिवार अब सिर्फ एक सवाल से घिरे हैं 'आख़िर क्यों दिल्ली की उस शाम ने हमारी दुनिया उजाड़ दी?'
मंगरौला गांव में सोमवार रात का दृश्य किसी भी व्यक्ति का दिल दहला देने वाला था। अशोक कुमार की 70 वर्षीय मां सोमवती देवी, जो दिल की मरीज हैं, रातभर इस सच्चाई से बेखबर रहीं कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं है।
परिवार ने तय किया कि उनकी बीमारी को देखते हुए रात में उन्हें खबर नहीं दी जाएगी। लेकिन जब मंगलवार सुबह अशोक का क्षत-विक्षत शव दिल्ली से घर लाया गया, तो मां की चीखें पूरे गांव में गूंज उठीं। वे सदमे से वहीं बेहोश होकर गिर पड़ीं। उनकी चीखें सुनकर गांव के हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं।
हसनपुर के कारोबारी लोकेश अग्रवाल के समधी राजेश अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने मोबाइल पर मृतकों की तस्वीरें दिखाईं, लेकिन चेहरों की हालत ऐसी थी कि पहचानना नामुमकिन था।
आखिरकार कपड़ों और अंगूठी से लोकेश की पहचान हो पाई। राजेश अग्रवाल ने कहा- “चेहरे का सिर्फ एक हिस्सा थोड़ा बचा था, बाकी शरीर देखने लायक नहीं था।” यह बयान सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो गए। यह हादसा सिर्फ एक विस्फोट नहीं था, बल्कि दो परिवारों की पूरी जिंदगी का अंत था।
जब सोमवार देर शाम दिल्ली में अशोक की मौत हुई, उनके बड़े भाई सुभाष कुमार काम की तलाश में हरियाणा गए हुए थे। मंगलवार सुबह वे गांव पहुंचे तो घर मातम में डूबा हुआ था।
गंगा पूठ घाट पर अशोक का अंतिम संस्कार किया गया। चूंकि उनका बेटा अभी बहुत छोटा है, इसलिए भतीजे निशांत ने उन्हें मुखाग्नि देकर अंतिम विदाई दी।
Updated on:
12 Nov 2025 08:11 pm
Published on:
12 Nov 2025 06:50 pm
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