अनूपपुर। जिले में कोरोना महामारी के थमने के बाद सामान्य हो रहे जनजीवन में अब मोतियाबिंद मेजर ऑपरेशन कराने वाले मरीजों की दस्तक जिला अस्पताल के नेत्र विभाग में होने लगी है। बारिश की समाप्ति होने के बाद अब ऑपरेशन के लिए परिजन और मरीज चिकित्सकों की सलाह लेकर अपना ऑपरेशन करवा रहे हैं। हालात यह है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मरीजों की संख्या अधिक है। पिछले वर्ष कोरोना महामारी के संक्रमण के कारण यह रफ्तार धीमी रही, वहीं बारिश के सीजन के कारण भी ऑपरेशन का कार्य प्रभावित रहा। पिछले दो वर्षो के आंकलन और वित्तीय वर्ष की समाप्ति के उपरांत पुन: आरम्भ हुए मोतियाबिंद ऑपरेशन के कार्य में तेजी आई है, जिसमें अप्रैल माह से अगस्त माह के दौरान जिला अस्पताल में ८७ मरीजो का मोतियाबिंद का मेजर ऑपरेशन से इलाज किया गया है। जबकि इससे पूर्व के आंकड़े भी जिला अस्पताल अनूपपुर के लिए बेहतर माने जा रहे हैं। नेत्र विशेषज्ञ डॉ. जनक सारीवान बताते हैं कि आंखों के रोग में मोतियाबिंद उम्र के बढऩे के साथ चोट, शरीर में अन्य बीमारियों के कारण होती है। इनमें ४० आयु से उपर वाले व्यक्तियों में यह मामला ज्यादा पाया जाता है। वहीं अनूपपुर जिले में पुष्पराजगढ़ और जैतहरी जैसे आदिवासी ग्रामीण अंचलों में इस प्रकार के रोग सर्वाधिक पाए जाते हैं। इसका मुख्य कारण खान-पान, आंखों की सुरक्षा में बरते गए उपाय, या रोग होने पर इलाज में बरती गई असावधानी है। वहीं आदिवासी समुदायों में ऑपरेशन जैसे शब्दों से भयभीत होकर इलाज से दूरी बनाना भी मुख्य कारण है। [typography_font:18pt]बॉक्स: कोरोना महामारी के बीच मोतियाबिंद का ऑपरेशन आंकड़ा २०२०[typography_font:18pt]माह मेजर माइनर कुल[typography_font:18pt]जनवरी३० ०३ ३३[typography_font:18pt]फरवरी १०२ ०४ १०६[typography_font:18pt]मार्च ११५ ०२ ११७[typography_font:18pt]अप्रैल ११ ०४ १५[typography_font:18pt]मई ०६ ०४ १०[typography_font:18pt]जून १० ०६ १६[typography_font:18pt]जुलाई १० ०६ १६[typography_font:18pt]अगस्त १५ ०४ १९[typography_font:18pt]सितम्बर ०० ०४ ०४[typography_font:18pt]अक्टूबर ०० ०१ ०१[typography_font:18pt]नवम्बर १४ ०४ १८[typography_font:18pt]दिसम्बर १७ ०३ २०[typography_font:18pt]--------------------------------------[typography_font:18pt] ३३० ४५ ३७५[typography_font:18pt]वर्ष २०२१ में मोतियाबिंद के हुए ऑपरेशन [typography_font:18pt]जनवरी ०० ०५ ०५[typography_font:18pt]फरवरी ६४ ०५ ६९[typography_font:18pt]मार्च २५९ ०८ २६७[typography_font:18pt]अप्रैल २६ ०१ २७[typography_font:18pt]मई ०२ ०२ ०४[typography_font:18pt]जून २० ०६ २६[typography_font:18pt]जुलाई १७ ०२ १९[typography_font:18pt]अगस्त २२ ०४ २६[typography_font:18pt]सितम्बर ०० ०० ००[typography_font:18pt]--------------------------------[typography_font:18pt] ४१० ३३ ४४३[typography_font:18pt]बॉक्स: ये हैं मेजर और माइनर ऑपरेशन[typography_font:18pt]नेत्र विशेषज्ञ डॉ. सारीवान बताते हैं कि मेजर ऑपरेशन में सर्वाधिक केटरेक्ट यानी मोतियाबिंद के ऑपरेशन होते हैं, इसके अलावा क्रिटोपलास्टी (कोर्निया प्रत्यारोपण) व टेरिजियम शामिल हैं। कोर्निया प्रत्यारोपण मप्र के तीन-चार मुख्य स्थानों पर ही होता है। अनूपपुर में इसकी व्यवस्था नहीं है। माइनर ऑपरेशन में मधुेह वाले मरीज जो इंजेक्शन लगाते हैं, शामिल हैं। उनका कहना है कि मोतियाबिंद के इलाज के लिए ऑपेरशन ही मात्र विकल्प है। इस ऑपरेशन में डॉक्टर द्वारा अपारदर्शी लेंस को हटाकर मरीज की आंख में प्राकृतिक लैंस के स्थान पर नया कृत्रिम लेंसों को स्थापित किया जाता है। इसे इंट्रा ऑक्युलर लेंस कहते हैं। उसी स्थान पर लगा दिया जाता है। जहां प्राकृतिक लेंस लगा होता है। इस ऑपरेशन को बारिश के दौरान किसी प्रकार से संक्रमण नहीं हो करने से बचने बारिश के सीजन उपरांत करने का प्रयास किया जाता है। [typography_font:18pt]वर्सन:[typography_font:18pt]कोरोना के दौरान भी मरीज आते थे, लेििकन सुरक्षा कारणों से ऑपरेशन की तिथि बढाई जाती रही। हालंाकि उस दौरान भी कुछ मेजर केस का ऑपरेशन किया गया है। अब फिर से मरीजों की तादाद अधिक आने लगी है।[typography_font:18pt]डॉ. जनक सारीवान, नेत्र विशेषज्ञ जिला अस्पताल अनूपपुर।[typography_font:18pt;" >-----------------------------------------------------