
इस नदी पर जलसंसाधन विभाग की महत्वाकांक्षी परियोजना, टेंडर की फेर में अटका है निर्माण कार्य
अनूपपुर। अनूपपुर के अमरकंटक से प्रवाहित हुई नर्मदा तीन राज्यों की सीमा में लगने वाली लाखों हेक्टेयर की खेतों को सिंचित कर रही है। मप्र, महाराष्ट्र, गुजरात में बड़े-बड़े दर्जनों डैम बनाए गए हैं। जबकि २५० किलोमीटर दूर जबलपुर में इसी नदी पर बरगी में डैम बनाया गया है। लेकिन नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से जिले की आखिरी गांव खाल्हे दूधी की सीमा तक लगभग ८० किलोमीटर की दूरी में खेतों की सिंचाई के लिए अब तक कोई बांध नहीं बनाया जा सका है। यहां नर्मदा डायवर्सन के रूप में सिंचाई परियोजना प्रस्तावित है। लेकिन यह भी टेंडर की फेर में सालभर से अटकी पड़ी है।
माना जाता है कि यह अमरकंटक बेसिन पर बनने वाली महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना है। अगर इस नर्मदा डायवर्सन परियोजना का निर्माण होता है तो पुष्पराजगढ़ विकासखंड के १००-१२५ छोटे-बड़े गांव के हजारों हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकेगा। जलसंसाधन विभाग की जानकारी के अनुसार जिले के अंतर्गत नर्मदा डायवर्सन योजना की प्रशासकीय स्वीकृति हो चुकी है। इसके लिए शासन की ओर से वर्ष २०२१ में ३४४२.४७ लाख की राशि स्वीकृत की गई है। नर्मदा डायवर्सन सिंचाई परियोजना से लगभग १७६० हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने की क्षमता रखेगी। हालांकि यह लद्यु सिंचाई परियोजना के रूप में चिह्नित है। वहीं योजना की आद्यतन लागत ३४४२.४७ रखी गई है। इसका प्रस्ताव वर्ष २०१८ को भेजा गया था। लेकिन यहां प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद यह डायवर्सन योजना टेंडर की प्रक्रिया में अटका पड़ा है। यहां टेंडर की प्रक्रिया भी किए कई माह गुजर चुके हैं। भोपाल स्तर से जलसंसाधन विभाग को निर्मााण की अनुमति नहीं प्राप्त हो सकी है।
तीन दशक शोभापुर जलाशय का बना था प्रस्ताव
विभागीय जानकारी के अनुसार नर्मदा बेसिन से जुड़े गांवों में सिंचाई की सुविधा मुहैया कराने और पुष्पराजगढ़ विकासखंड में जलसंरक्षण को लेकर तत्कालीन केन्द्रीय शहरी राज्य विकास मंत्री रहे स्व. दलवीर सिंह ने तीन दशक पूर्व शोभापुर गांव में शोभापुर जलाशय का प्रस्ताव तैयार किया था। लेकिन बाद इस प्रस्ताव पर कार्य आरंभ नहीं हो सका। माना जाता है कि यहां बनने वाले बांध और यहां से विस्थापित होने वाली आबादी के लिए जगह की कमी पड़ गई थी। जिसके कारण यह ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन अब पुन: इसी शोभापुर,कंचनपुर, दमहेड़ी, कोयलारी, बसंतपुर गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में नर्मदा डायवर्सन सिंचाई परियोजना को स्थापित करने की पहल की गई है।
हजारों हेक्टेयर भूमि को मिलेगी सिंचाई की सुविधा, नर्मदा बेसिन नाशपाती के लिए है उपयुक्त
कृषि विभाग अधिकारी के अनुसार प्रस्तावित नर्मदा डायवर्सन सिंचाई परियोजना के क्रियान्वयन पर यहां लगभग ४०-४५ ग्राम पंचायतों के लगभग १२५ से अधिक गांवों को सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी। अब तक नर्मदा बेसिन पर जलाशय निर्माण को लेकर कोई पहल नहीं की गई थी। जिसके कारण यहां अब भी नर्मदा जल से इन १२५ गांवों के बीच अनुमानित ५०० हेक्टेयर ही रकबा सिंचित हो पा रहा है। इसके लिए किसानों को अधिक परेशानी उठानी पड़ती थी। जबकि उद्यानिकी विभाग के अनुसार अमरकंटक नर्मदा बेसिन का क्षेत्र अब नाशपाती उत्पादन के लिए अनुुकूल क्षेत्र बन गया है। यहां नाशपाती की भरपूर खेती की जा रही है। इसके लिए विभाग और शासन की ओर से और गांवों में नाशपाती विकास के लिए योजनाएं बनाई जा रही है। अगर जलाशय बनता है तो यहां के किसानों के लिए पानी में रहकर भी प्यासे जैसी कहावत से मुक्ति मिल जाएगी। और यहां के किसानों को सिंचाई का लाभ मिल सकेगा।
वर्सन:
प्रशासकीय स्वीकृति तो पूर्व में ही मिल चुकी है। लेकिन टेंडर की प्रक्रिया में विलंबता हुई है। टेंडर अपडेट किया गया है। जल्द ही स्वीकृति मिलने के उपरांत काम आरंभ किए जाएंगे।
जीवनलाल नंदा, एसडीओ जलसंसाधन विभाग राजेन्द्रग्राम
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Published on:
11 Jun 2022 09:31 am
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