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डूमर के अधिक वृक्षों के कारण गांव के नाम पड़ा डूमरकछार

गांव की आबादी बढऩे पर डूमर के पेड़ हुए समाप्त, लेकिन नाम आज भी प्रचलित

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Doomrakachaar named after the village due to more trees of Doomer

डूमर के अधिक वृक्षों के कारण गांव के नाम पड़ा डूमरकछार

अनूपपुर। अनूपपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत डूमर कछार का नाम यहां पाए जाने वाले डूमर पेड़ के नाम पर पड़ा था। डूमर जिसे गूलर भी कहा जाता है, यह पेड़ यहां बहुतायत में पाया जाता था। यह क्षेत्र पूरी तरह से जंगलों से घिरा हुआ था। धीरे-धीरे यहां आबादी बढ़ती गई और जंगल समाप्त होते गए। ग्राम पंचायत की आबादी 4600 की है जहां वर्तमान में 20 वार्ड हैं। वर्ष 1960 के लगभग यहां कॉलरी प्रारंभ हुई जिसके साथ ही रोजगार तथा अन्य कार्य की वजह से यहां आबादी बढऩे के साथ ही डूमर के पेड़ भी समाप्त होते चले गए। लेकिन उन पेड़ों के नाम से गांव का नाम आज भी प्रचलित है। हालंाकि आने वाले दिनों में यह ग्राम पंचायत नगर पंचायत के रूप में संचालित होगा।
बॉक्स: पहले बसी थी छोटी सी बस्ती
स्थानीय निवासी तथा ग्राम पंचायत के उपसरपंच विक्रमादित्य चौरसिया बताते हैं कि लगभग 80 वर्ष पूर्व यहां मात्र एक छोटी सी बस्ती थी। जहां बैगा जनजाति के लोग निवास करते थे। बस्ती के आसपास डूमर का पेड़ बहुतायत में पाया जाता था। जिसके नाम पर इस बस्ती का नाम डूमर कछार पड़ गया। कोल खदानों के संचालन के बाद यहां की आबादी भी बढ़ी और अन्य समुदाय के लोगों ने भी गांव में अपना निवास बनाया है।
बॉक्स: आबादी बढऩे के साथ ही काट दिए गए डूमर के पेड़
स्थानीय महिला रामबाई बैगा ने बताया कि झीमर कॉलरी का संचालन लगभग 60 वर्ष पूर्व यहां एसईसीएल प्रबंधन द्वारा प्रारंभ कराया गया था। जिसके साथ ही कॉलरी द्वारा आवास तथा अन्य भवन निर्माण के कार्य कराए गए। जिसमें डूमर के पेड़ों की कटाई कर दी गई, जो अब बिल्कुल भी नहीं बचे हैं। लेकिन उसी पेड़ों के नाम से आज भी यह ग्राम पंचायत जाना जाता है।
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