अनूपपुर। अनूपपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत बेलियाबड़ी आज भी अपने गांव के नाम बेल के पेड़ों की वजूदता के आधार पर मानते हैं। यहां आज भी बेल के पेड़ गांव के नामाकरण की यादों को तरोताजा कर जाते हैं। जिसमें ग्रामीण ३०० साल पूर्व गांव की वास्तविकताओं को जानने के प्रयास करते हैं, वहंी अब बदले परिवेश में तब ओर अब के बेलियाबड़ी के फर्क को भी आंकते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव का नाम पूर्व में यहां अधिक संख्या में बेल के पेड़ की वजह से पड़ा था। वर्तमान में भी यहां काफी संख्या में बेल के पेड़ स्थित है। जो कि गांव के नाम को अभी भी सार्थक कर रहे हैं। ग्राम पंचायत में लगभग 35 सौ की आबादी निवासरत है जहां कुल 17 वार्ड हैं। स्थानीय ग्रामीण विनोद पांडे बताते हैं कि 300 वर्ष पूर्व उनके पूर्वज इच्छाराम और कनई राम बनगवां से उचेहरा और उचेहरा से कोतमा होते हुए बेलिया बड़ी गांव पहुंचे थे। जहां बेल के पेड़ों का घना जंगल होने के कारण वे यहां पर रात्रि विश्राम किया था। जिसके बाद वह यहीं पर रहने लगे थे। इसके बाद अब यहां उनकी कई पीढिय़ों का जीवन निर्वहन हो चुका है। पूर्व में गिनी चुनी आबादी के रूप में लोग निवासरत हुए, लेकिन बदले समय के अनुसार अब इस गांव में अधिक संख्या में लोग बसने लगे हैं। [typography_font:18pt]बॉक्स: आबादी बढऩे के साथ कम हुए बेल के पेड़[typography_font:18pt]स्थानीय निवासी राज नारायण पांडे ने बताया कि अब बेलियाबड़ी कोतमा तहसील की प्रसिद्ध गांव है, जहां आबादी बढऩे के साथ ही गांव में स्थित बेल के पेड़ कम होते गए है। लेकिन वर्तमान में भी गांव में विभिन्न स्थानों पर बेल के पेड़ स्थित है। यहां के बेल स्वादिष्ट माने जाते हैं। अधिक संख्या में आज भी बेल के पेड़ गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में मौजूद हैं।[typography_font:18pt;" >---------------------------------------------------------------