कैसे मिटेगा कुपोषण: पुष्पराजगढ़ खंड की 269 गांवों के बीच मात्र दो एनआरसी केन्द्र, विकासखंड में 4191 बच्चे कुपोषित
दोनों एनआरसी के बीच 45-50 किलोमीटर का फासला, जांच में डॉक्टर कुपोषण की कर रहे पुष्टि
कैसे मिटेगा कुपोषण: पुष्पराजगढ़ खंड की 269 गांवों के बीच मात्र दो एनआरसी केन्द्र, विकासखंड में 4191 बच्चे कुपोषित
अनूपपुर। जिले में कुपोषण के दंश से सबसे अधिक पुष्पराजगढ़ विकासखंड प्रभावित है। यहां जिले के कुपोषित बच्चों की लगभग आधी संख्या कुपोषण से ग्रस्ति है। यहीं नहीं इन कुपोषित में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या भी अन्य खंडों से अधिक है। भौगोलिक क्षेत्रफल में यह विकासखंड जिले के आधी रकबे से अधिक क्षेत्र में विस्तारित है। जिसमें ११९ ग्राम पंचायत की २६९ गांवें स्थापित है। पहाड़ी व वनीय क्षेत्र होने के कारण यहां सड़क और परिवहन जैसी सुविधाओं का अभाव है। पूरे क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा २ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अलावा ५ पीएचसी सेंटर खोले गए हंै। लेकिन २६९ गांवों बीच कुपोषण से रोकथाम के लिए मात्र २ एनआरसी केन्द्र है। यानि एक एनआरसी केन्द्र के भरोसे १३५ गांव। इनमें एक पोषण पुर्नवास केन्द्र खंड मुख्यालय राजेन्द्रग्राम स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र राजेन्द्रग्राम में तथा दूसरा केन्द्र सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करपा में संचालित है। दोनों एनआरसी केन्द्रों की बीच की दूरी देखी जाए तो पुष्पराजगढ़ के पश्चिमी छोर से करपा एनआरसी के बीच लगभग ४०-४५ किलोमीटर की दूरी बनती है। वहीं दक्षिणी छोर अमरकंटक से राजेन्द्रग्राम की ४०-४५ किलोमीटर की दूरी, इनके बीच लगभग ४०-५० गांवों की क्षेत्र परिधि सम्मिलित होता है। दूरी के कारण क्षेत्र में कभी न तो महिला बाल विकास और ना ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुपोषण जैसी अव्यवस्थाओं को झांकने दुर्गम गांवों में पहुंचते हैं। आश्चर्य की बात है कि इन गांवों में आदिवासी जनजाति की विशेष प्रजाति बैगा जनजाति समुदाय के लोगों का निवास अधिक है, और कुपोषण के आंकड़ों में इनके बच्चों की संख्या भी अधिक है। लेकिन दूरी व परिवहन असुविधा के कारण इन गांवों में कुपोषण के शिकार बच्चों को समय पर उपचार के लिए एनआरसी केन्द्र नहीं भर्ती कराया जाता है। हालात यह बनते हैं कि कुपोषण के कारण बच्चों के बिगड़ते स्वास्थ्य में होने वाली अन्य परेशानियों की जांच के दौरान डॉक्टरों द्वारा कुपोषण की पुष्टि कर भर्ती की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
बॉक्स: सबसे अधिक कुपोषित विकासखंड
जिले में कुपोषित १०३९१ बच्चों की संख्या में पुष्पराजगढ़ में ही सर्वाधिक ४१९१ बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं। इनमें ३२३ बच्चे अतिकुपोषित है। जबकि बैगा और आदिवासी बहुल्य क्षेत्र होने के कारण यहां राजेन्द्रग्राम पोषण पुर्नवास केन्द्र में २० बिस्तर तथा करपा पोषण पुर्नवास केन्द्र पर १० बिस्तर की व्यवस्था बनाई गई है। लेकिन प्रति माह दो शिफ्टो में बच्चों की भर्ती प्रक्रिया में कुपोषित बच्चों की संख्या का कोरम पूरा नहीं हो पाता। वार्षिक आंकड़ों में राजेन्द्रग्राम एनआरसी में ४८० की जगह मात्र २७२ तथा करपा में २४० की जगह १२८ बच्चों की ही भर्ती हो सकी।
बॉक्स: पुष्पराजगढ़ से अधिकारियों को परहेज
पुष्पराजगढ़ ढांचागत विकास के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य में भी सबसे अधिक पिछड़ा क्षेत्र है। इसका मुख्य कारण विभागाप्रमुखों के साथ साथ उनके अमलों का इस क्षेत्र से दूरी। जिसके कारण क्षेत्र की आंगनबाड़ी केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्र, एनजीओ सहित अन्य योजनाओं के माध्यम से फैलाई जा रही जागरूकता कार्यक्रम की वास्तविक मॉनीटरिंग नहीं हो पाती। इसमें सिर्फ क ागजी आंकड़ो ंका खेल हावी होता। जिसका खामियाजा सिर्फ बच्चों व परिजनों को भुगतना पड़ता है।