ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार देने के लिए संचालित मनरेगा योजना से ग्रामीणों को रोजगार तो मिल रहा है लेकिन टास्क दर तथा मूल्यांकन के कारण कभी भी मजदूरों को पूरी मजदूरी राशि नहीं मिल पाती है। निजी कार्य में जहां मजदूरों को प्रतिदिन 300 रुपए मजदूरी राशि प्राप्त होती है, वहीं शासकीय कार्य में अधिकतम 220 रुपए ही मजदूरी के रूप में मिलते हंै। निर्धारित मजदूरी 261 रुपए भी नहीं मिल पाती है। बताया जाता है कि मूल्यांकन में राशि काट ली जाती है। कभी भी पूरी मजदूरी नहीं बनाई जाती है। जिले में कुल एक लाख 59 हजार जॉब कार्ड धारक हैं। वर्तमान में एक लाख 25 हजार जॉब कार्ड सक्रिय हंै, जिसके माध्यम से 2 लाख 15 हजार मजदूर कार्य कर रहे हैं। प्रत्येक परिवार को मनरेगा के माध्यम से 100 दिन का रोजगार दिए जाने का प्रावधान है। मनरेगा में बीते 3 वर्षों में मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी राशि में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। हर वर्ष लगभग 20 रुपए की राशि शासन से बढ़ाई जा रही है। वर्ष 2023 में मनरेगा में मजदूरी की राशि 221 रुपए थी, 2024 में 243 हुई जबकि 2025 में 261 रुपए मजदूरी की अधिकतम राशि निर्धारित की गई है। इसमें से मजदूरों को सिर्फ 220 रुपए ही अधिकतम मजदूरी के रूप में प्राप्त हो पाता है।
इस वर्ष अब तक जिले में एक लाख 19 हजार 794 लोगों को रोजगार दिया गया है। अनूपपुर विकासखंड में 19 हजार 601, जैतहरी में 28 हजार 502, कोतमा में 13 हजार 455 एवं पुष्पराजगढ़ विकासखंड में 58 हजार 236 मजदूरों को रोजगार दिया गया। वर्ष 2023 में जिले में एक लाख 83 हजार 468 लोगों को रोजगार दिया गया जिसमें अनूपपुर विकासखंड में 30622, जैतहरी में 47492, कोतमा में 22315 एवं पुष्पराजगढ़ विकासखंड में 83029 लोग शामिल हैं। इसी तरह वर्ष 2024 में 1 लाख 82 हजार 425 लोगों को रोजगार मिला, अनूपपुर विकासखंड में 30 हजार, जैतहरी में 47 हजार 742, कोतमा में 21 हजार 866 एवं पुष्पराजगढ़ विकासखंड में 82 हजार 726।
ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार तथा मजदूरी राशि पर्याप्त न मिलने के कारण ग्रामीण महानगरों की ओर पलायन करते हैं। बीते वर्ष पुष्पराजगढ़ विकासखंड के ग्राम बहपुर के 17 मजदूर महाराष्ट्र मजदूरी करने गए थे जहां कार्य कराने वाले कंपनी ने उन्हें बंधुआ मजदूर के रूप में बंधक बना लिया था। ग्रामीण लोकनाथ ने पुलिस में पिता सहित 16 अन्य लोगों को महाराष्ट्र में बंधक बना लिए जाने की शिकायत की थी। इसके बाद अमरकंटक पुलिस ने महाराष्ट्र से सभी 17 मजदूरों को मुक्त कराते हुए वापस लाया था।
यह बात सही है कि जितनी मजदूरी राशि निर्धारित है उतनी दी नहीं जाती है। उपयंत्री से इस संबंध में बात की जाएगी और पूछा जाएगा की क्यों ऐसा हो रहा है। कार्य का पूर्ण मूल्यांकन क्यों नहीं किया जा रहा है। कोशिश रहेगी कि मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा मजदूरी राशि मिल सके।
तन्मय वशिष्ठ शर्मा, सीईओ जिला पंचायत अनूपपुर
Published on:
20 Jun 2025 12:11 pm