
Bhilwara got 11.20 crores for payment in RTE
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत मिलने वाले प्रवेश में जिले बड़ी गड़बड़ी की गई है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही की वजह से 43 निजी स्कूलों में योजना के तहत एक भी एडमिशन नहीं हुए हैं। इनमें कई बड़े स्कूल भी शामिल हैं। प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही यह समस्या सामने आ गई थी, लेकिन अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया और समय काटते रहे। अंतिम तिथि निकलने के बाद अब राज्य शिक्षा केंद्र पर गड़बड़ी का ठीकरा फोड़ रहे हैं। दूसरी ओर निजी स्कूलों में बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा का सपना संजोए अभिभावकों को शासकीय विद्यालयों में ही मजबूरन एडमिशन कराना पड़ा। निजी विद्यालयों में नि:शुल्क प्रवेश के लिए 5 से 21 मई तक ऑनलाइन आवेदन एवं त्रुटि सुधार के लिए समय सीमा निर्धारित की गई थी। जिलेभर में 176 निजी विद्यालय संचालित है जहां इस योजना के तहत अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए पहुंचे लेकिन नवगठित नगर परिषद बनगवां, डोला, डूमर कछार, बरगवा अमलाई के साथ ही जिले भर में संचालित 43 निजी विद्यालयों में चॉइस फिलिंग नहीं हुई। अभिभावकों ने विभागीय अधिकारियों को इसकी जानकारी दी, लेकिन समस्या का निराकरण नहीं किया गया।
इस मामले पर कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिलीप जायसवाल को जब पत्रिका की टीम में इस समस्या के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि यह गड़बड़ी कैसे हुई और समय रहते इस पर सुधार क्यों नहीं किया गया इसके संबंध में अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। उन्होंने कहा कि शासन की हर योजना का लाभ आमजन को मिल सके इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। यदि इसमें कोई लापरवाही की गई है तो संज्ञान लिया जाएगा।
पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह ने कहा कि आरटीई योजना इस उद्देश्य के साथ ही प्रारंभ की गई थी कि गरीबों के बच्चों को भी महंगे निजी विद्यालयों में दाखिला मिल सके और वह भी अन्य बच्चों की तरह अध्ययन करते हुए बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकें लेकिन सरकार की कथनी और करनी में यही फर्क है। यदि कहीं कोई समस्या थी तो अधिकारियों को तुरंत ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना देते हुए समय सीमा में समस्या को दूर करने का प्रयास करना था। जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध उन्होंने कार्रवाई की मांग भी मुख्यमंत्री से की।
बिजुरी निवासी रामनरेश यादव ने बच्चे के दाखिले के लिए आवेदन किया था। 43 विद्यालयों में गड़बड़ी के कारण बिजुरी में सिर्फ 3 ही विद्यालय में दाखिला हो रहा था। चॉइस फिलिंग के दौरान दो स्कूलों को ऑप्शन के रूप में भरा था इसके बावजूद बेटे का चयन योजना के अंतर्गत नहीं हो पाया। रामनरेश यादव ने कहा कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण शासन की इस योजना से उन्हें वंचित होना पड़ा। यदि ज्यादा विद्यालयों में चॉइस फिलिंग होती तो शायद बेटे का दाखिला हो जाता।
जिले में इस बार आरटीई के तहत 555 सीट निर्धारित किए गए थे जिसमें से 773 आवेदन प्राप्त हुए। 176 निजी विद्यालयों में से 43 विद्यालयों के लिए एक भी आवेदन विभागीय लापरवाही की वजह से अभिभावक नहीं कर पाए। सिर्फ 133 विद्यालयों में ही योजना के अंतर्गत प्रवेश के लिए आवेदन हो पाए।
पूर्व में इस मामले को लेकर राज्य शिक्षा केंद्र के प्रमुख सचिव से चर्चा की गई थी। फिर उनसे बात करते हुए जिन विद्यालयों में आरटीई के आवेदन नहीं हो पाए हैं वहां समय सीमा बढ़ाते हुए प्रारंभ कराया जाएगा।
हर्षल पंचोली, कलेक्टर
Published on:
31 May 2025 12:08 pm
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