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डोला में पार्क निर्माण पर एसईसीएल का अडंग़ा

न्यायालय पहुंचा कॉलरी प्रबंधन, लगवाई रोक, दो माह पहले शुरू हुआ था पार्क का निर्माण कार्य

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कोयलांचल क्षेत्र स्थित नगरीय निकायों में विकास कार्यों के लिए कॉलरी प्रबंधन और नगरी प्रशासन के बीच आए दिन भूमि विवाद की स्थिति निर्मित होती है। प्रस्तावित कार्य जैसे ही प्रारंभ होते हैं कॉलरी प्रबंधन और नगर पालिका के बीच भूमि को लेकर के विवाद शुरू हो जाता है। स्वीकृत निर्माण कार्य को रोक दिए जाने से जहां शासन से प्राप्त विकास कार्य की राशि का उपयोग नहीं हो पाता है, वहीं दूसरी ओर लोगों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। इस तरह की समस्या से जिले के डोला, बनगवा, डूमर कछार, बिजुरी, कोतमा निकाय जूझ रहे हैं। नगर परिषद डोला अंतर्गत 14 लाख रुपए की लागत से अन्यया वाटिका के समीप पार्क का निर्माण कराया जा रहा था। पार्क निर्माण कार्य 2 महीने पहलेे प्रारंभ हुआ। बाउंड्री वाल का कार्य पूर्ण हो गया था। पहले तो एसईसीएल प्रबंधन ने नोटिस जारी किया। जब कार्य नहीं रुका तो उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। उच्च न्यायालय ने कार्य पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं। आगामी सुनवाई में नगरीय निकाय से जवाब मांगा गया है।

बिजुरी में भी सड़क व नाली निर्माण पर लगा दी है रोक

एक महीने पूर्व बिजुरी नगर पालिका के विभिन्न वार्डों में सड़क और नाली निर्माण के कार्य पर भी रोक लगाने के निर्देश संपदा अधिकारी बिजुरी उपक्षेत्र ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी को दिए थे। उसके बाद इन कार्यों को मौके पर रोक दिया गया था। नगर पालिका का इस पर यह तर्क था कि जो कार्य कराए जा रहे हैं उससे कॉलरी की कॉलोनी में निवासरत लोगों को सुविधा प्राप्त होगी। इसके बाद से यह कार्य अभी प्रारंभ नहीं हो पाए हैं।

कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ने सदन में उठाया था मामला

इस मामले को लेकर के कोतमा विधायक एवं कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री दिलीप जायसवाल ने विधानसभा सत्र के दौरान बीते माह सदन में उठाया था। मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री के संज्ञान में समस्या को लाते हुए एमपीएलआरसी एक्ट अंतर्गत कॉलरी प्रबंधन की अधिग्रहित भूमि जिसका कोई भी उपयोग कॉलरी प्रबंधन नहीं कर रहा है। स्थानीय उपयोग के लिए जिला प्रशासन को, नगरीय निकाय को दिए जाने की मांग की गई थी।

प्रशासन ने कराया था सर्वे, अब तक नहीं आया नतीजा

नगर परिषद बनगवा, डोला, डूमर कछार में भूमि की समस्या को लेकर एसईसीएल की अनुपयोगी भूमि को नगर परिषद और शासन को वापस लौटाने के लिए पूर्व में कलेक्टर के निर्देश पर सर्वे का कार्य किया जा चुका है जिसके अंतर्गत अनुपयोगी भूमियों को चिन्हित करते हुए इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी गई है। इस प्रक्रिया को लगभग 3 महीने का समय बीत चुका है लेकिन अब तक इस पर कोई भी निर्णय नहीं हो पाया है। समस्या जस की तस है।