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ब्रह्मा के तप से हुई थी सोन नदी की उत्पत्ति

अमरकंटक से निकलकर बिहार में गंगा नदी में समाहित होती है सोन

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Son river originated due to the tenacity of Brahma

ब्रह्मा के तप से हुई थी सोन नदी की उत्पत्ति

अनूपपुर। सोन नदी अमरकंटक के सोनमुड़ा से निकलकर कलकल बहती हुई 780 किलोमीटर की दूरी तय कर बिहार के पटना में गंगा नदी में समाहित होती है। अनूपपुर जिले की जीवन रेखा कही जाने वाली यह नदी जीवनदायिनी होने के साथ ही लोगों की आस्था का केंद्र भी है। सोन नदी की उत्पत्ति को लेकर यह मान्यता है कि यह ब्रह्मा के मानस पुत्र हैं। ब्रह्मा के तप के फलस्वरूप उनके बाएं आंख से सोन तथा दाएं आंख से भद्र अश्रु धारा के रूप में निकले थे। जिन्हें सोन-भद्र भी कहा जाता है, लेकिन इनका प्रचलित नाम सोन है।
बॉक्स: नदी की धारा में पाए जाते हैं सोने के कण
सोनमुड़ा आश्रम के महंत सोमेश्वर गिरी महाराज ने बताया कि सोन की जलधारा में आज भी सोने के कण पाए जाते हैं। इस आश्रम में प्रतिदिन सोनभद्र की पूजा के साथ ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां सोन नदी के उद्गम स्थल को देखने के लिए पहुंचते हैं।
बॉक्स: कुंड में स्थापित है प्राचीन शिवलिंग
सोनमुड़ा आश्रम में उद्गम स्थल पर बने कुंड में प्राचीन शिवलिंग स्थापित है, जहां निकलने वाली धारा में यह जल मग्न स्थिति में सदा रहती है। श्रद्धालुओं के द्वारा इस कुंड में अपनी आस्था तथा मन्नत पूर्ण होने के लिए सिक्के भी डाल जाते हैं।
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