
नदी की तेज धार में कटा पुल का बेस, 40 फीट लम्बी स्लैप खम्भों के साथ नदी मेंं धसकी
अनूपपुर। जिला मुख्यालय अनूपपुर के सामतपुर-हर्री गांव के बीच जलसंसाधन विभाग द्वारा बनाए गए 60 मीटर लम्बी पुल का लगभग 40-45 फीट लम्बा हिस्सा 15 जुलाई को नदी में वी सेप लेते हुए धसक गया है। जिसके बाद यह पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। इससे पूर्व इसी पुल का 40 फीट का अन्य हिस्सा अक्टूबर 2019 में 8 खम्भों के साथ नदी में पूरी तरह धसक चुका है। यह हिस्सा लगभग 6 फीट नीचे नदी में धसका हुआ है। जिसके बाद अब लगभग 180 फीट लम्बी पुल का लगभग ८०-९० फीट का हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। बावजूद जिला प्रशासन और जलसंसाधन विभाग अधिकारी क्षतिग्रस्त हुए पुल के प्रति लापरवाह बने हुए हैं। क्षतिग्रस्त पुल से ग्रामीणों को दूर रखने प्रशासन स्तर पर कोई सुरक्षात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं। पुल पर यातायात को रोकने बेरिकेट भी नहीं किए गए हैं। जिसके कारण ग्रामीणों की आवाजाही खतरनाक पुल पर बनी हुई है। बाइक सवार और पैदल यात्री जान की बाजी लगाए आवागमन कर रहे हैं। इससे पूर्व क्षतिग्रस्त पुल को देखते हुए जलसंसाधन विभाग द्वारा मिट्टी डालकर बेरिकेट की व्यवस्था बनाई गई थी। वहीं एसडीएम अनूपपुर द्वारा ग्रामीणों की आवागमन पर रोक लगाने तथा क्षतिग्रस्त पुल के हिस्से को सुधार कराने के आश्वासन दिए गए थे। लेकिन आजतक क्षतिग्रस्त पुल का हिस्सा तो मरम्मती नहीं किया जा सका, वहीं तकनीकि सुरक्षात्मक व्यवस्था में बचा हुए पुल का अन्य हिस्सा भी नदी के कटाव में धराशायी होकर नदी के तल में बैठ गया। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व एक हिस्सा के क्षतिग्रस्त होने पर किसी प्रकार आर पार कर जाते थे, लेकिन अब दो हिस्सों के क्षतिग्रस्त होने पर ग्रामीणों की आवाजाही नहीं हो सकी। अगर प्रशासन स्तर पर इसका सुधार कराया जाता तो सम्भव था कि पुल को अधिक नुकसान नहीं पहुंचता। बताया जाता है कि इस मार्ग से जिला मुख्यालय सहित हर्री, बर्री, भगताबांध, पसला, बिजौड़ी, चातरहिया, रक्शा, कोलमी, अमगंवा, छुलकारी से लेकर फुनगा तक के ग्रामीण आवाजाही करते है। जलसंसाधन विभाग द्वारा वर्ष २००९ में १ करोड़ २७ लाख की लागत से १८० मीटर लम्बी पुल का निर्माण कराया गया था। लेकिन १० साल बाद पुल का ४० फीट हिस्सा ७ अक्टूबर २०१९ को क्षतिग्रस्त हो गया।
बॉक्स: नगरपालिका इंजीनियर की लापरवाही में हुआ नुकसान
विभागीय जानकारी के अनुसार नदी के ३५ फीट नीचे हार्ड रॉक है। इसके अलावा एक किलोमीटर की परिधि में पुल निर्माण के लिए बेहतर जमीन नहीं है। लेकिन ग्रामीणों की मांग पर उपर ही बेस डालकर पुल का निर्माण करा दिया गया था। लेकिन चार साल पूर्व नगरपालिका के इंजीनियरों द्वारा बिना तकनीकि ज्ञान को समझे फिल्टर प्लांट का निर्माण पुल के पास करा दिया, जहां डैम से उतरता तेज पानी के बहाव में पुल का बेस ही कट गया।
बॉक्स: ग्रामीणों ने श्रमदान कर बनाया था नदी में अस्थायी मार्ग
प्रशासन और विभाग द्वारा मरम्मत के दिए आश्वासन बाद भी पुल का सुधार कार्य नहीं कराया गया, जिसपर ग्रामीणों ने घर-घर पैसे एकत्रित कर श्रमदान कर नदी में अस्थायी मार्ग का निर्माण किया, लेकिन वह मार्ग भी बरसात में बह गई, जिसके बाद अब दर्जनभर गांवों की आवाजाही के लिए कोई विकल्प नहीं बचे।
वर्सन:
तत्काल डब्ल्यूआरडी अधिकारी को मौके पर भेजकर पुल को बंद कराने निर्देशित करवाता हूं। पुल पर आवाजाही खतरनाक है।
कमलेश पुरी, एसडीएम अनूपपुर।
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Published on:
16 Jul 2020 06:00 am
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