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घर-घर हुई मां लक्ष्मी का विशेष पूजा, दीपों व पटाखों से रोशन हुआ कोना कोना

हर्षोल्लास के साथ मनाई गई दीपावली

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There is special worship of Mother Lakshmi from house to house, corner

घर-घर हुई मां लक्ष्मी का विशेष पूजा, दीपों व पटाखों से रोशन हुआ कोना कोना

अनूपपुर। दीपों का पावन त्यौहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर विजय का पर्व दीपावली २७ अक्टूबर को जिला मुख्यालय सहित कोतमा, बिजुरी, राजनगर, भालूमाड़ा, जैतहरी, पुष्पराजगढ़ सहित अन्य ग्रामीण अचंलों में धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर घर घर धन की देवी माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की गई। साथ ही घरों की दीवारों से लेकर दरवाजों की चौखट, आंगन तक दीपों की लरियां तथा खूबसूरत रंगोली से सजाई गई। बच्चों से लेकर युवाओं तक ने दीप जलाकर पटाखें फोड़े। दीपों की जगमगाहट तथा रंगीन लाईटों के साथ साथ आसमानों में फूटने वाले रंग-बिरंगी आतिशबाजी से धरती नहा उठी। माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा रामचंद्र अपने चौहद वर्ष के वनवास तथा रावण विजयी होने के उपरांत सीता व लक्ष्मण संग वापस अपने राज्य अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने राम के आगमन की खुशी में उनके स्वागत में घी के दीपक जलाए थे। कार्तिक मास की काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी थी, तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश पर्व हर्ष व उल्लास से मनाया जाता है। सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक महत्व है। जिसमें जिले में निवासरत अलग अलग समुदाय के लोगों द्वारा अलग अलग परम्पराओं व रीति रिवाज से लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। कहीं महालक्ष्मी तो कहीं भद्रकाली की उपासना कर ईष्टदेवों की पूजा अर्चना किया गया। दरवाजे पर केले के पेड़ों व आम के पत्तों की तोडऩ सजा महालक्ष्मी के स्वागत की तैयारी की गई। वहीं दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा कर पशुओं की विशेष पूजा अर्चना की गई। रविवार को जिला मुख्यालय अनूपपुर में खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी। जबकि दीपावली की सुरक्षा व्यवस्थाओं में नगर की पुलिस रात भर गश्त लगाती नजर आई।
जिले की आर्थिक नगरी के रूप में विकसित कोतमा, भालूमाड़ा, राजनगर में भी दीपावली का पर्व पूरे उत्साह व उमंग के साथ मनाया गया। दीपावली के मौके पर नगर के लोगों द्वारा दीपावली का पूजन सामग्र, पटाखे, वस्त्र-मिठाईयोंं की जमकर खरीदारी की। गुरूद्वारा रोड कोतमा के पास मां काली की प्रतिमा की स्थापना कर विधि विधान से पूजा अर्चन किया गया। वहंी आदिशक्ति पंचायती मंदिर कोतमा में गोर्वधन पूजा किया गया। जिसमें अन्नकूट में ५६ प्रकार के भोग लगाए गए, नगर के लोगों ने मंदिर में पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया। एक ओर दीपावली में पूरी दुनिया रंग-बिरंगी दिख रही थी। वहीं सुप्रीम कोई के गाईडलाईन में लोगों ने ज्यादा शोर वाले पटाखों से दूरी बनाए रखी।
बॉक्स: पशुओं का मना पर्व गोवर्धन पूजा
दीपावली के दूसरे दिन सोमवार २८ नवम्बर को गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया। ग्रामीण इलाकों में पशु मालिकों ने अपनी गाय, बैल, भैंस, बकरियों का पूजन अर्चन किया। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया। कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक रूप में गाय है। वहीं परेवा के दिन व्यापारियों, मजदूरों, वाहन मालिको सहित अन्य श्रम से जुड़े कार्यक्रम बंद रहे, बाजार के व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर ताला लगा रहा।