
अब किसी अस्पताल में किया ऐसा काम तो खाना पड़ सकती है जेल की हवा
अशोकनगर. गर्भवती महिलाओं को जिले के बाहर भेजने के केस कम नहीं हो रहे हैं। जबकि वरिष्ठ अधिकारी कई बार रैफरल केस कम करने के निर्देश दे चुके हैं। जिला अस्पताल में जिला अस्पताल में तीन महिला चिकित्सकों पदस्थ होने के बावजूद पिछले सात महीनों में हर महीने औसतन 10 महिलाओं को जिले के बाहर भेजा गया है।
जिले में कुल 21 प्रसव केन्द्र हैं। जिनमें जिला अस्पताल सहित 4 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी), 9 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) व 7 उप स्वास्थ्य केन्द्र (एसएचसी) शामिल हैं। यानी सभी सीएचसी व पीएचसी के अलावा सात सब हेल्थ सेंटर्स में भी प्रसव करवाने की सुविधा है। लेकिन स्टाफ व संसाधनों की कमी के कारण पीएचसी व एसएचसी से महिलाओं को जिला अस्पताल भेज दिया जाता है। वहीं जिला अस्पताल से भी कई महिलाओं को जिले के बाहर रैफर किया जा रहा है।
108 एंबुलेंस के पिछले सात महीनों के आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो जिला अस्पताल से 72 महिलाओं को रैफर किया गया है। यानी हर महीने 10 महिलाएं बाहर भेजी गई है। जिला अस्पताल के लिए रैफरल का यह आंकड़ा छोटा नहीं है। डिलिवरी में जरा भी दिक्कत नजर आने पर या तो गर्भवती को रैफर कर दिया जाता है या फिर उसे ऑपरेशन करवाने की सलाह दी जा रही है। जिसके कारण सीजर से डिलिवरी के केस भी जिले में बढ़े हैं।
जिला अस्पताल में वर्तमान में गायनी डा. कीर्ति गोल्या, डा. रजनी छारी व डा. ज्योति दुबे शामिल हैं। गुना से आईं डा. लेखा तिवारी ने करीब एक माह पहले वीआरएस ले लिया है। तीनों ही महिला चिकित्सक गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही हैं। लेकिन विशेषज्ञ के तौर पर केवल डा. गोल्या ही पदस्थ हैं।
92 महिलाएं रैफर होकर पहुंची जिला अस्पताल
जननी 108 वाहन के आंकड़े बताते हैं कि जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों से 92 महिलाओं को जिला अस्पताल रैफर किया गया है। यानी ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रसव केन्द्रों से बड़ी संख्या में महिलाएं रैफर हो रही हैं। ये आंकड़े केवल 108 एंबुलेंस से रैफर महिलाओं के हैं। जिन महिलाओं के परिजन निजी या किराए के वाहन से गए, उनका आंकड़ा इनमें शामिल नहीं है।
कालाबाग व खजूरिया प्रसव केन्द्र बंद
पीएचसी काला बाग भौरा में नई बिल्डिंग बनी और सारी सुविधाएं मौजूद हैं। स्टाफ के लिए क्वाटर्स भी हैं। लेकिन यहां स्टाफ न होने के कारण केन्द्र बंद पड़ा है। जिससे आसपास के गांव के लोगों को स्वास्थ्य केन्द्र का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं एसएचसी खजूरिया से एएनएम का ट्रांसफर कर दिया गया है। जिसके बाद से ये केन्द्र भी बंद हैं और केन्द्र के तहत आने वाले गावों की गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल आना पड़ रहा है।
ंचंदेरी में नहीं हो रहे ऑपरेशन
चंदेरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर भी गर्भवती महिलाओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यहां ब्लड स्टोरेज की सुविधा न होने और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ के पदस्थ न होने के कारण सीजर ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। सुविधा की दृष्टि से पूर्व में डा. सुधा भार्गव चंदेरी पहुंचकर ऑपरेशन करती थीं, लेकिन कुछ दिन चलकर यह व्यवस्था भी बंद हो गई। अब सीजर के लिए जिला अस्पताल रैफर करना पड़ता है।
यहां है प्रसव की सुविधा
-जिला अस्पताल अशोकनगर
-सीएचसी शाढ़ौरा, पीएचसी पीएचसी कचनार व राजपुर एवं एसएचसी खजुरिया और जलालपुर
-सीएचसी ईसागढ़, पीएचसी नई सराय व पारसोल, एसएचसी कदवाया और महिदपुर
-सीएचसी मुंगावली, पीएचसी अथाइखेड़ा, बहादुरपुर, मल्हारगढ,़ सहराई व पिपरई
-सीएचसी चंदेरी, एसएचसी मोहनपुर, गोरा कलां और थूबोन
Published on:
09 Nov 2019 10:26 am
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